
Nuclear Deal : यूरोपीय देशों ने ईरान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह परमाणु समझौते पर तेहरान आगे नहीं बढ़ता है तो उस पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए पुराने प्रतिबंधों को फिर से लागू किया जा सकता है.
इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बावजूद तेहरान पर अभी कई तरह के खतरे मंडरा रहे हैं. अभी ईरान पर कई यूरोपी देश और संयुक्त राष्ट्र मिलकर प्रतिबंध बहाली पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने इस बात पर सहमति जताई है कि यदि ईरान के साथ परमाणु समझौते पर कोई ठोस प्रगति नहीं होती तो अगस्त के अंत तक उस पर संयुक्त राष्ट्र के कड़े प्रतिबंध दोबारा लागू कर दिए जाएंगे.
कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता
फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसने परमाणु समझौता नहीं किया तो उसे कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में तीनों यूरोपीय देशों के राजदूतों ने जर्मनी स्थित मिशन में मुलाकात की, जहां उन्होंने ईरान के साथ संभावित समझौते और प्रतिबंध बहाली को लेकर चर्चा की. इस संबंध में सोमवार को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और तीनों यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों के बीच भी फोन पर बातचीत हुई थी.
किसी भी परिस्थिति में परमाणु बम न बना पाए
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि सभी पक्ष इस बात पर एकमत हैं कि ईरान को किसी भी स्थित में परमाणु हथियार विकसित करने या हासिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. हमारा संयुक्त उद्देश्य यही है कि ईरान को किसी भी परिस्थिति में परमाणु बम न बना पाए.
परमाणु प्रसार को रोकने के प्रति ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाता
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-नोएल बरो ने मंगलवार को ब्रसेल्स में मीडिया से बातचीत में कहा, जब तक ईरान परमाणु प्रसार को रोकने के प्रति ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाता, तब तक उस पर प्रतिबंधों की बहाली उचित और आवश्यक है. वहीं, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हाल ही में संकेत दिया कि ईरान अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू कर सकता है, लेकिन एक शर्त पर कि उन्हें इस बात की सुनिश्चित गारंटी चाहिए कि उनके परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका या इजरायल की तरफ से कोई और हमला नहीं होगा, उन्होंने कहा, कि “ऐसे हमलों ने समाधान तक पहुंचना और भी अधिक जटिल बना दिया है. जब तक भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों से सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, हम वार्ता में आगे नहीं बढ़ सकते.
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