हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सही मानने की जरूरत नहीं : सुप्रीम कोर्ट

New Delhi: शीर्ष न्यायालय में अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर बहस पूरी हो चुकी है। सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने कहा कि सेबी को सभी चौबीस मामलों की जांच पूरी करनी होगी। सेबी ने पच्चीस अगस्त को अडानी समूह द्वारा स्टॉक प्राइस में हेरफेर के आरोपों की अपनी जांच पर शीर्ष न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सत्य नहीं मानना है।
आरोप लगाने में कुछ जिम्मेदारी तो होनी ही चाहिए
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी ने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है। सेबी अब सभी 24 मामलों की जांच पूरी करेगी। अदालत ने कहा कि हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सत्य नहीं मानना है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता का परीक्षण करने का कोई साधन नहीं है। इसलिए, सेबी से जांच करने को कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाने में कुछ जिम्मेदारी तो होनी ही चाहिए।
बिना किसी ठोस आधार के इस तरह की मांग करना ठीक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा एलआईसी और एसबीआई की भूमिका की जांच की मांग पर फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिना किसी ठोस आधार और सबूत के इस तरह की मांग करना ठीक नहीं है। कोई भी आरोप लगाने से पहले सोचना चाहिए कि उसका प्रभाव क्या होगा।
अडानी के शेयर में हुए निवेश की जांच हो
अदालत ने यह भी कहा कि सेबी से यह नहीं कहा जा सकता कि वह अखबार में छपी किसी खबर को सत्य के रूप में ले। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने मांग की है कि अडानी के शेयर में हुए निवेश की जांच हो। यह भी देखा जाए कि किसे फायदा मिला। वहीं इस मामले में सेबी ने कहा कि उसने हर पहलू की जांच कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को लिखित दलीलें जमा करवाने को कहा है।
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