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आपदा प्रबंधन पर AITC को राजनीति नहीं करनी चाहिए : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय

Nityanand Rai: आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 को हाल ही में लोकसभा से पारित कर दिया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य आपदा प्रबंधन में सुधार करना और राष्ट्रीय क्षमता को बढ़ाना है। 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम को संशोधित करने वाले इस विधेयक में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटा बेस बनाने, शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूडीएमए) की स्थापना और विशेषज्ञ प्रतिक्रिया के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ और एसडीआरएफ) के गठन का प्रावधान किया गया है।

इस विधेयक के तहत, राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को आपदा योजना बनाने का अधिकार दिया गया है। झूठी जानकारी देने या अफवाह फैलाने पर एक से दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों को आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए कार्रवाई करने या किसी कार्य को रोकने का अधिकार भी मिलेगा। शहरी क्षेत्रों में विशेष रूप से आपदा प्रबंधन के लिए नए प्राधिकरण का गठन होगा।

लू से होने वाली मौतें

विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने आलोचना की है। तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत राय ने कहा कि विधेयक में आपदा को लेकर गंभीर चिंता नहीं दिखाई गई। डीएमके सांसद कनिमोझी ने लू से होने वाली मौतों का मुद्दा उठाया और कहा कि इसे संशोधन में शामिल नहीं किया गया है। तृणमूल कांग्रेस ने इसे दिखावे के रूप में भी आलोचना की, जबकि बीजेपी सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि जंगलों में आग के नुकसान पर भी ध्यान दिया गया है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें आपदा प्रबंधन पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने वायनाड भूस्खलन त्रासदी के दौरान केंद्र सरकार की मदद का हवाला दिया।

यह विधेयक 2005 के अधिनियम का विस्तार है, जिसे 2004 की सुनामी के बाद लागू किया गया था और इसके तहत आपदा से निपटने के लिए सरकारी एजेंसियों को बेहतर संसाधन और प्राधिकरण दिए गए हैं।

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