नीतीश कुमार यूपी में बिगाड़ेंगे मोदी का सियासी खेल, जानें कैसे?
एक बार फिर से देश की सियायत में नया मोड़ आता दिख रहा है। एक तरफ केजरीवाल शिक्षा को चुनावी मुद्दा बनाकर मोदी सरकार के जीत के रथ को रोकने के प्रयास में लगे हुएं हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष को एकजुट कर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने के अथक प्रयास में लगे हुएं हैं।
नीतीश कुमार कर सकते हैं यूपी की सियासत में एंट्री
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में प्रयागराज (Prayagraj) की फूलपुर (Phoolpur) सीट से बिहार के सुशासन बाबू (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) चुनाव लड़ सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) का फूलपुर सीट चुनाव क्षेत्र रहा है पंडित जवाहरलाल नेहरू इस सीट से तीन बार सांसद चुने जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री भी बने। इसीलिए फूलपूर की सीट चुनावी रण के लिए किसी अखाड़े से कम नहीं है।
एक तीर से दो निशाने साधने की शुरू हुई सियासत
फूलपुर सीट से चुनाव लड़कर नीतीश कुमार एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास कर रहे हैं। यहां से चुनावी समर में कूदने का दांव नीतीश कुमार और उनकी टीम की सियासी रणनीति का ऐसा जादूई हिस्सा है जिसके जरिये वह विपक्ष को एकजुट करने के साथ ही बीजेपी के विजय रथ के पंहियों को कमजोर करने का काम कर सकती है। नीतीश कुमार यह बात अच्छे जानते हैं कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है।
लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटें कई मायनों में खास होती हैं ऐसे में अगर बीजेपी के खिलाफ यूपी में ही मोर्चेबंदी कर दी जाए तो उसे हराने की कोशिश कुछ आसान हो सकती है।
कुल मिलाकर यह दांव 2024 की लड़ाई को मोदी बनाम नीतीश बनाने के प्रयासों का होगा, क्योंकि नीतीश के जिस फूलपुर सीट से किस्मत आजमाने की चर्चा हैं, वहां से पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की दूरी करीब सौ किलोमीटर है।
फूलपुर से लड़ने की खास वजह
हर एक राजनीतिक खिलाड़ी जानता है कि यूपी की सियासत में कहीं न कहीं जातीय समीकरण का पलड़ी भारी रहता है। आज हम आपको बताएंगे इसी समीकरण के बारे में साथ ही फूलपुर सीट का जातीय समीकरण भी पूरी तरह नीतीश के मुफीद है। इस क्षेत्र में कुर्मी वोटर तीन लाख के करीब हैं।
इसके साथ ही यादव और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं। यानी अच्छी खासी आबादी वाला यानी फूलपुर से चुनाव लड़कर अपने आप को राष्ट्रीय राजनीति पर स्थापित करने के प्रयास में हैं।
ऐसे सियासी फैक्टर जो कर सकते हैं मोदी का काम खराब
जातीय गणित को सीढ़ी बनाकर ही फूलपुर सीट से अब तक नौ कुर्मी सांसद चुने गए हैं। वर्तमान समय की बात करें तो इस समय में भी यहां से कुर्मी समुदाय की बीजेपी नेता केशरी देवी पटेल ही सांसदकी कुर्सी पर विराजमान हैं।
अकेले फूलपुर ही नहीं बल्कि आस-पास की तकरीबन दो दर्जन सीटों पर कुर्मी वोटर मजबूत स्थिति में हैं। अभी यहां के ज्यादातर कुर्मी बीजेपी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल एस गठबंधन के साथ हैं, इतना ही नहीं नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने पर सिर्फ इन दो दर्जन सीटों पर ही नहीं बल्कि समूचे सूबे में गहरा असर पड़ सकता है।