
पीएम नरेंद्र मोदी अपने पांचवें नेपाल दौरे (PM Modi Visit to Nepal) पर आज लुम्बिनी पहुंचे। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पीएम मोदी का यह दौरा बेहद खास माना जा रहा है। मोदी का लुम्बिनी भ्रमण सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा के रूप में नहीं देखा जा सकता है। इसका अपना रणनीतिक और सामरिक महत्व भी है। 2014 में पद संभालने के बाद प्रधानमंत्री की नेपाल की यह पांचवीं यात्रा है। दुनिया के कई देशों में तनाव और टकराव के माहौल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भगवान बुद्ध की जन्मभूमि से शांति का संदेश देंगे।
आज प्रसिद्ध मायादेवी मंदिर में दर्शन के साथ पीएम की यात्रा की शुरुआत होगी, जो लुंबिनी के मध्य में है। माना जाता है कि जहां यह मंदिर है, वहीं पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। नवंबर 2014 में इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने बोधगया से एक बोधि वृक्ष का पौधा इस मंदिर को गिफ्ट किया था।
राजनीतिक संबंध भी होंगे बेहतर
दरअसल, आज बुद्ध पूर्णिमा है और आज ही नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और मोदी मुलाकात की है। नेपाल में बौद्ध दूसरी बड़ी आबादी है। सिर्फ लुंबिनी में ही 1 लाख 58 हजार बौद्ध रहते हैं। इस मुलाकात के बाद भारत और नेपाल की साझी बौद्ध विरासत दोनों के राजनीतिक संबंध भी बेहतर होंगे। दरअसल, दुनिया की बड़ी बौद्ध आबादी चीन, नेपाल भूटान, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों में रहती है। इसीलिए भारत बौद्ध कूटनीति से एशिया को एकता के सूत्र में बांध सकता है।
नेपाल यात्रा से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध अद्वितीय हैं। एक बयान में पीएम ने कहा कि पिछले महीने यहां के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की भारत यात्रा के दौरान हुई सार्थक चर्चा के बाद दोबारा उनसे मिलने को लेकर उत्सुक हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेपाल की उनकी यात्रा का उद्देश्य समय की कसौटी पर खरे उतरे दोनों देशों के संबंधों को और गहरा करना है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष जलविद्युत, विकास और संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने को लेकर बनी समझ को आगे बढ़ाएंगे।
देउबा का ‘इंडिया फर्स्ट’
पहले नेपाल का सबसे ज्यादा आयात भारत से होता था लेकिन अब चीन उसमें भी घुसपैठ कर चुका है। देउबा के पीएम बनने पर नेपाल अब ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति पर चल रहा है। नेपाल पश्चिमी सेती में हाइड्रोपावर परियोजना से चीन को दूर रखते हुए भारत का साथ चाहता है। राम-जानकी से जुड़े दोनों देशों का धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करे तो ये सबके हित में होगा।
यह भी पढ़ें JITO Connect 2022: पीएम मोदी बोले- अब देश के सामने अगले 25 वर्षों में स्वर्णिम भारत के निर्माण का संकल्प