देश के पहले CDS Bipin Rawat की जयंती आज, जिनका नाम सुनकर कांपते थे दुश्मन

आज मां भारती के वीर सपूत, पद्म विभूषण की जयंती है, जिनके नाम से दुश्मन कांपते थे। जी हां हम बात कर रहे हैं देश के पहले सीडीएस जनरल स्व. बिपिन रावत जी की, जनरल बिपिन रावत की आज 66वीं जयंती है। सीडीएस बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। ना केवल जनरल बिपिन रावत बल्कि उनका पूरा परिवार पिछले कई सालों से देश में सैन्य सेवाएं दे रहा था। जनरल बिपिन रावत सीडीएस बनने से पहले भारतीय सेना के 27वें प्रमुख थे। जनरल रावत की 8 दिसंबर 2021 को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हो गए थे।
सेना में शुरुआत से बुलंदियों तक का सफर
बिपिन रावत ने प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा के बाद भारतीय सेना अकादमी देहरादून से आर्मी की ट्रेनिंग पूरी की। जनरल रावत ने सन 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल की 5वीं बटालियन से अपने करियर की शुरुआत की थी। दिसंबर 1978 में बिपिन रावत कमीशन ऑफिसर बने। 31 दिसंबर 2016 को जनरल रावत सेना के 27वें प्रमुख बने। 2019 में देश के पहले सीडीएस यानी चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाए गए।
1978, सेकेंड लेफ्टिनेंट
16 दिसंबर 1980, लेफ्टिनेंट
31 जुलाई 1984, कैप्टन
16 दिसंबर 1989, मेजर
1 जून 1998, लेफ्टिनेंट कर्नल
1 अगस्त 2003, कर्नल
अक्टूबर 2007, ब्रिगेडियर
2 अक्टूबर 2011, मेजर जनरल
1 जून 2014, लेफ्टिनेंट जनरल
1 जनवरी 2017, जनरल
30 दिसंबर 2019, सीडीएस (चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ)
नेफा इलाके में जब रावत की तैनाती हुई तो उन्होंने बटालियन की अगुवाई भी की। रावत ने कांगो में यूएन की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की। 1987 में अरुणाचल प्रदेश स्थित सुमदोरोंग चू घाटी में हुई भारत-चीन झड़प के दौरान भी चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को हराने के लिए तत्कालीन कैप्टन रावत की बटालियन को तैनात किया गया था। जनरल बिपिन रावत ने आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत ही नहीं बल्कि विश्वस्तर पर अपना योगदान दिया। 2015 में म्यांमार का सीमापार ऑपरेशन उनके करियर का मुख्य आकर्षण है।
कैसे हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना
8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में बिपिन रावत को ले जा रहा हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना के 14 अन्य अधिकारी मौजूद थे। हेलिकॉप्टर में मौजूद बिपिन रावत और मधुलिका रावत समेत सभी 14 अधिकारियों का दुर्घटना में शहीद हो गए थे। यह दिल दहला देने वाला अविस्मरणीय हादसा तमिनाडू के कुन्नूर शहर में हुआ था।
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