भारत की तुलना चीन से करने का कोई मतलब नहीं, करनी ही है तो लोकतंत्र से करें : पीएम मोदी
New Delhi : पीएम मोदी ने देश में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, प्रशासनिक बाधाओं और कौशल अंतर पर चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि भारत की तुलना अन्य लोकतंत्रों के साथ की जानी चाहिए, न कि अपने पड़ोसी देशों के साथ। पीएम मोदी ने कहा कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि आपने जिन मुद्दों पर प्रकाश डाला है, वे सुझाव के अनुसार व्यापक होते तो आज भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल नहीं कर पाता। उन्होंने आगे कहा कि अक्सर, ये चिंताएं धारणाओं से उत्पन्न होती हैं और धारणाओं को बदलने में कभी-कभी समय लगता है।
देश में कौशल की कोई कमी नहीं है
CMIE डेटा के आधार पर अर्थव्यवस्था में रोजगार की गंभीर स्थिति के दावों के बीच पीएम मोदी ने अनुमान का खंडन करते हुए कहा की Periodic Labour Force Survey (PLFS) के मुताबिक भारत में नए तरह के रोजगारों में वास्तव में तेजी आई है। इसी तरह, उन्होंने वैश्विक कंपनियों में भारतीय मूल के सीईओ की उपस्थिति की ओर इशारा करते हुए सुझाव दिया कि देश में कौशल की कोई कमी नहीं है।
कंपनियों का नेतृत्व करने के लिए आगे बढ़े हैं
सत्या नडेला, सुंदर पिचाई और अरविंद कृष्णा जैसे कई भारतीय मूल के अधिकारी इंद्रा नूई और अजय बंगा के नक्शे-कदम पर चलते हुए माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और आईबीएम जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का नेतृत्व करने के लिए आगे बढ़े हैं, जो पेप्सी और मास्टरकार्ड के प्रमुख थे।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ऐसी स्थितियाँ बनाना चाहती है जहाँ हर कोई भारत में निवेश करना और अपने परिचालन का विस्तार करना उचित समझे, हालांकि, यह टिप्पणी ऐसे समय में आ रही है, जब भारत निवेश की तलाश कर रहा है, उत्पादन जैसी योजनाओं के माध्यम से simplified नियमों और प्रोत्साहनों का वादा कर रहा है।
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