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भारत-नेपाल बॉर्डर पर ‘नो मेंस लैंड’ में मौजूद खेतों को हटाया जाएगा

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नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में भारत-नेपाल बॉर्डर पर अतिक्रमण (Encroachment) के समाधान के लिए भारत और नेपाल के अधिकारियों द्वारा एक संयुक्त सर्वेक्षण टीम का गठन किया जाएगा। यह सर्वेक्षण उधम सिंह नगर जिले के खटीमा क्षेत्र और चंपावत जिले के कुछ भागों पर केंद्रित होगा। बॉर्डर के दोनों ओर के लोगों ने मुख्य रूप से खेती-किसानी के उद्देश्यों के लिए नो मेंस लैंड पर अतिक्रमण कर लिया है। अधिकारियों ने अतिक्रमण की पहचान करने और बॉर्डर का उचित सीमांकन सुनिश्चित करने के लिए टीमों का गठन किया है।

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भारत और नेपाल सीमा पर नो मेंस लैंड में कई स्थानों पर कब्जा है। यह स्थान सामरिक दृष्टिकोण से काफी अहम है। उत्तराखंड के खटीमा में भारत और नेपाल की बॉर्डर खुली हुई है और यह अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर नो मेंस लैंड क्षेत्र है अर्थात् एक निर्जन एरिया है। जो कि अतिक्रमण की जद में आ गया है। नेपाल की ओर से इस क्षेत्र में खेती और अतिक्रमण किया जा रहा है, इससे सुरक्षा व्यवस्था को खतरा हो सकता है। इसी बीच अब भारत नेपाल बॉर्डर पर नो मेंस लैंड में मौजूद खेतों को हटाया जाएगा।

नो मेंस लैंड में कई जगहों पर है कब्जा

भारत नेपाल बॉर्डर पर नो मेंस लैंड में 21 जगहों पर कब्जा है। खटीमा के नगरा तराई, मेलाघाट समेत कई गांवों से कई किलो मीटर आगे तक भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय खुली बॉर्डर से पहले विशाल जंगल निर्जन क्षेत्र में आता है, इस निर्जन क्षेत्र पर नियम-कानूनों का उल्लंघन कर नेपाल की ओर से अतिक्रमण किया जा रहा है। नेपाल के कंचनभोज, बाबाथान आदि गांवों के लोग इस निर्जन क्षेत्र पर खेती-किसानी कर रहे हैं।

मधेशी जाति के लोग करते हैं खेती

कुछ लोगों ने यहां अस्थायी झोपड़ियां बना ली है। बॉर्डर से सटे नेपाल के गांव सुंदरनगर में मधेशी जाति के लोग सबसे ज्यादा खेती कर रहे हैं। यह परेशानी आने वाले वक्त में भारत और नेपाल के बीच अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर विवाद का विषय बन सकती है।

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