Supreme Court: व्यस्त होने वाला है 12 अक्टूबर का दिन, 7 जजों की संविधान पीठ करेगी छह मामलों की सुनवाई

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के लिए कल यानी 12 अक्टूबर, 2023 का दिन बहुत व्यस्त होने वाला है। कोर्ट 12 अक्टूबर को कम-से-कम छह मामलों की सुनवाई करेगा। और ये सभी सुनवाई सात जजों की संवैधानिक पीठ करेगी। बता दें, मामला अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हैं, बल्कि यह केवल प्रक्रियात्मक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
Supreme Court: मामला जो कल सुनवाई की जानी है
पहला मामला उड़ीसा से संबंधित है यह मामला उड़ीसा बिक्री कर अधिनियम, 1947 की धारा 5ए की वैधता को चुनौती से संबंधित है। मामले में प्राथमिक मुद्दा अधिनियम की धारा-8 के स्पष्टीकरण की संवैधानिकता थी। दूसरा मामला यह है कि क्या मौलिक अधिकार संसदीय विशेषाधिकारों पर हावी हो सकते हैं? यह मामला 2003 में सामने आया था जब तमिलनाडु विधानसभा द्वारा विशेषाधिकार हनन और घोर अवमानना के आरोप में पत्रकारों की गिरफ्तारी के आदेश के बाद पत्रकार एन रवि और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कुछ अन्य मामला जो सूचीबद्ध है
तीसरा केस अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़ा है। जिसमें अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने की बात 2019 में की गई थी जिसे सात जजों की संविधान पीठ को भेजा गया था। चौथा केस यह तब शुरू हुआ था जब 2010 में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 की धारा 4(5) को असंवैधानिक करार दिया। अधिनियम की धारा 4(5) सार्वजनिक सेवाओं में अनुसूचित जाति आरक्षण के लिए वाल्मिकी और मजभी सिख जातियों को ‘पहली प्राथमिकता’ प्रदान करती है।
कुछ और विषय जिसपर कल होगी सुनवाई
पांचवां मामला धनविधेयक से संबंधित है। जिसमें राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए धन विधेयक के रूप में कानूनों को पारित किया गया था। वित्त अधिनियम, 2017, जिसने वित्त अधिनियम, 1994 में कुछ संशोधन पेश किए, इसको भारतीय संविधान के अनुच्छेद-110 के तहत “धन विधेयक” माना जा सकता है। न्यायालय के समक्ष सवाल यह है कि क्या वित्त अधिनियम, 2017 के माध्यम से किए गए संशोधन धन विधेयक के दायरे में थे। छठा विषय स्पीकर की शक्तियों से संबंधित है 7 जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा तय किया जाना है कि “क्या स्पीकर को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के इरादे का नोटिस जारी करना स्पीकर को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने से रोकता है”।
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