सोनिया गांधी ने आलाचकों को दिया जवाब, कहा- फुल टाइम कांग्रेस प्रेसिडेंट हूं

नई दिल्ली: शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हो रही है। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कर रही है। इस बैठक में पार्टी की रणनीति और संगठन की स्थिति पर चर्चा होनी है। सोनिया गांधी ने अपने ओपनिंग भाषण में ही अपने आलाचकों को करारा जवाब दिया है।
बता दें कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि पार्टी के फैसले कौन ले रहा है ये उन्हें नहीं पता है। ऐसी टिप्पणीयों का जवाब देते हुए सोनिया ने कहा की वो फुल टाइम कांग्रेस प्रेसिडेंट है।
दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के मुद्दों और सरोकारों की आवाज को उठाया: सोनिया
कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आगे कहा, पिछले दो वर्षों में बड़ी संख्या में हमारे सहयोगियों, विशेष रूप से युवाओं ने पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को लोगों तक ले जाने में नेतृत्व की भूमिका निभाई है, चाहे वह किसानों का आंदोलन हो, महामारी के दौरान राहत का प्रावधान हो या मुद्दों को उजागर करना हो।
बात युवाओं और महिलाओं के लिए चिंता की हो , दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार या मूल्य वृद्धि और सार्वजनिक क्षेत्र की तबाही हो हमने कभी भी सार्वजनिक महत्व के मुद्दों और सरोकारों को बिना ध्यान दिए नहीं जाने दिया। आप जानते हैं कि मैं उन मुद्दों और सरोकारों को डॉ मनमोहन सिंह और राहुल जी के साथ उठाती रही हूं। मैं समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ नियमित रूप से बातचीत करती रही हूं। हमने राष्ट्रीय मुद्दों पर संयुक्त बयान जारी किए हैं और संसद में भी अपनी रणनीति का समन्वय किया है। मैंने हमेशा स्पष्टता की सराहना की है। मीडिया के माध्यम से मुझसे बात करने की कोई जरूरत नहीं है। तो आइए हम सभी एक स्वतंत्र और ईमानदार चर्चा करें। लेकिन इस कमरे की चारदीवारी के बाहर जो बात होनी चाहिए वो सीडब्ल्यूसी का सामूहिक निर्णय होगा।
संगठन के चुनाव पर सोनिया ने साफ कहा कि पूर्ण संगठनात्मक चुनावों का कार्यक्रम आपके सामने है। 30 जून 2021 को चुनावी रोडमैप को अंतिम रूप दिया गया था, लेकिन आप सब तय करें, पार्टी में किसी एक मर्जी नहीं चलेगी।
किसानों के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा
बैठक में सरकार पर हमला करते हुए सोनिया ने कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना बीजेपी की मानसिकता को दर्शाती है है कि वो किस तरह किसान आंदोलन को देखती है। तीनों काले कानून के खिलाफ किसान अपनी रक्षा के लिए लड़ रहा है लेकिन सरकार को किसानों की चिंता नहीं है। अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि सरकारी प्रचार के बावजूद अर्थव्यवस्था अभी भी बड़ी चिंता का कारण बनी हुई है। ऐसा लगता है कि सरकार के पास आर्थिक सुधार के लिए संपत्तियों को बेचना एक ही उपाय है।