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Sachin Tendulkar भी हुए डीपफेक के शिकार, गेम के प्रमोशन के लिए उनके वीडियो पर उन्हीं की आवाज डब की गई

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर भी डीपफेक का शिकार हुए हैं। वे एक गेमिंग ऐप, “स्काईवर्ड एविएटर क्वेस्ट” का प्रमोट करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।

सचिन ने खुद इस वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा कि यह फर्जी है और आपको धोखा देने के लिए बनाया गया है। इस तरह की टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग बिल्कुल गलत है। उन्होंने इस संदेश को महाराष्ट्र साइबर पुलिस, भारत सरकार और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को टैग किया है।

वीडियो में सचिन की बेटी का भी जिक्र

इस फेक वीडियो में वे बताते हैं कि उनकी बेटी हर दिन इस गेम से काफी पैसा कमाती है। लोग मुझे बताते हैं कि अब अच्छा पैसा कमाना कितना आसान हो गया है।

क्या है डीपफेक और यह कैसे बनाया जाता है?

2017 में डिपफेक शब्द पहली बार प्रयोग किया गया था। बाद में, डीपफेक आईडी से कई प्रसिद्ध लोगों के वीडियो Reddit नामक सोशल मीडिया एग्रीगेटर पर पोस्ट किए गए। इसमें एमा वॉटसन, गैल गैडोट और स्कारलेट जोहानसन के कई पोर्न वीडियो शामिल थे।

डीपफेक एक व्यक्ति के चेहरे, आवाज और व्यवहार को एक असली वीडियो, फोटो या ऑडियो में बदल देना है। ये इतना स्पष्ट है कि कोई भी यकीन कर सकता है। इसमें नकली भी लगता है।

इसमें AI और मशीन लर्निंग का सहारा लिया जाता है। इसमें सॉफ्टवेयर और तकनीक से वीडियो और ऑडियो बनाया जाता है।

AI और साइबर एक्सपर्ट पुनीत पांडे बताते हैं कि अब रेडी टु यूज टेक्नोलॉजी और पैकेज उपलब्ध है। अब इसे कोई भी उपयोग कर सकता है। वर्तमान टेक्नोलॉजी में अब आवाज भी इम्प्रूव हो गई है। इसमें वॉयस क्लोनिंग बेहद खतरनाक हो गई है।

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