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हमारा आचरण ऐसा न हो जिससे लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को पहुंचे ठेस : ओम बिड़ला

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New Delhi : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसद की उच्च परम्पराओं को कायम रखने के लिए अपना अंत:करण शुद्ध रखने और आचरण में शुचिता रखने की सदस्यों से अपील की। बिड़ला ने रिश्वत लेकर सवाल पूछने के आरोपों का सामना कर रहीं महुआ मोइत्रा के खिलाफ आचार समिति के प्रतिवेदन पर सदन में चर्चा से पहले कहा कि आज जिस विषय पर विचार किया जा रहा है वह हम सबके लिए पीड़ादायक है।

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भारतीय लोकतंत्र की विश्व में पहचान है

लेकिन, कई बार ऐसा समय आता है, जब इस सभा को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को लेकर उचित निर्णय लेने होते हैं। बिड़ला ने कहा कि 75 वर्ष के भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सदन की उच्च परम्परा स्थापित हुई है और इसी की बदौलत भारतीय लोकतंत्र की विश्व में पहचान भी है।

बिड़ला ने क्या कहा?

अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे समय भी आए हैं कि हमने सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा तथा उच्च मानदंडों को बनाये रखने के लिए उचित निर्णय भी किये हैं। इस सदन की मर्यादा और लोकतांत्रिक मूल्य ऐसे मूल सिद्धांत हैं, जिसमें किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

हमारे व्यवहार से हमारे कार्य पर कोई संदेह न हो

बिड़ला ने कहा कि ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम शुद्ध अंत:करण और ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा से इन सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करें। हम अपने आचरण में शुद्धता रखें, शुचिता रखें। हमारे व्यवहार से किसी को कोई कष्ट न हो। हमारे व्यवहार से हमारे कार्य पर कोई संदेह न हो। हमारा आचरण ऐसा न हो जिससे हमारे लोकतंत्र की उच्च मर्यादा और प्रतिष्ठा को कोई ठेस पहुंचे।

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