
देशभर में आज निर्जला एकादशी Nirjala Ekadashi मनाई जा रही है. यह एकादशी का व्रत दूसरे व्रतों से बहुत ज्यादा कठिन होता है. इस व्रत में न कुछ खाया जाता है और न कुछ पिया जाता है. बता दे कि, पूरे साल में 24 एकादशी तिथि होती है. इनमें से सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है. अब आपको निर्जला एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताते हैं.
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पारण का समय…
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरूआत 10 जून, शुक्रवार सुबह 07:25 बजे से होगी.
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का समापन 11 जून शनिवार सुबह 05:45 बजे होगा.
वरीयान योग सुबह से रात 11:36 बजे तक रहेगा.
रवि योग सुबह 05:23 बजे से अगले दिन 11 जून, शनिवार, सुबह 03:37 बजे तक रहेगा.
निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय: शनिवार, दोपहर 01:44 बजे से शाम 04:32 बजे तक रहेगा.
उदया तिथि के कारण दोनों ही दिन यानी 10 और 11 जून को व्रत रखा जा सकता है. लेकिन 11 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखना और 12 जून को पारण करना ज्यादा शुभ माना जा रहा है. वहीं जो लोग 10 जून को व्रत रख रहे वे 11 जून को पारण कर सकते हैं.
निर्जला एकादशी की पूजा विधि…
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए.
सबसे पहले घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करनी चाहिए.
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए.
भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए
इसके बाद आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी या चुननी चाहिए.
इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए.