नौसेना के बेड़े में शामिल होगा INS विशाखापत्तनम, समंदर में भी बढ़ेगी भारत की बादशाहत
नई दिल्ली: स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS विशाखापट्टनम आज भारतीय नौसेना में शामिल होगा। आईएनएस विशाखापत्तनम के शामिल होने से भारत की बादशाहत समंदर में बढ़ने जा रही है। इतना ही नहीं , 25 नवंबर को सबमरीन ‘वेला’ को शामिल किया जाएगा। इसके बाद दिसंबर महीने की शुरुआत में सर्वे वैसल ‘संध्याक’ तैनात हो जाएगा।
आईएनएस के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन बीरेंद्र सिंह बैंस ने कहा कि इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से बनाया गया है। कैप्टन बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कमीशनिंग के बाद हम इसका कुछ और परीक्षण जारी रखेंगे। वीरेन्द्र बेन्स के मुताबिक, इसके निर्माण में बहुत ही मजबूत और उच्च गुणवत्ता वाले स्वदेशी स्टील डीएमआर 249ए का उपयोग कर किया गया है। यह योद्धपोत ब्रह्मोस-बराक जैसे विध्वंसक मिसाइल से लैस होगा। इसके अलावा यह कई तरह के हथियारों और सेंसर से लैस है, जिसमें सुपरसॉनिक सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम और शॉट रेंज गन, एंटी सबमरीन रॉकेट, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर एवं कम्युनिकेशन सूट शामिल है। इस युद्धपोत का मोटो (आदर्श वाक्य) “यशो लाभश्व” है।
आईएनएस विशाखापत्तनम को नौसेना डिजाइन निदेशालय ने डिजाइन किया था जबकि इसे मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड ने इसे बनाया है। यह नौसेना के प्रोजेक्ट पी 15 बी का हिस्सा है।
INS विशाखापट्टनम 30 नॉटिकल माइल्स की स्पीड से चलने में सक्षम है यानि इसकी अधिकतम रफ्तार 55.56 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इस वॉर शिप की लंबाई 164 मीटर , चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7500 टन है।
हवाई हमले से बचने के लिए आईएनएस विशाखापट्टनम 32 बराक 8 मिसाइल से लैस है। इसका इस्तेमाल विमान, हेलिकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमान को नष्ट करने के लिए किया जाता है। आईएनएस विशाखापट्टनम 16 ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है। इसे चार गैस टर्बाइन इंजन से ताकत मिलती है।