Advertisement

सुप्रीम कोर्ट को ‘तारीख-पे-तारीख’ कोर्ट नहीं बनने देना चाहते : सीजेआई चंद्रचूड़

Share
Advertisement

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने वकीलों की तरफ से नए मामलों में स्थगन के निवेदन पर नाराजगी जताई है। सीजेआई ने वकीलों से स्थगन का निवेदन न करने की अपील की। और कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट को ‘तारीख-पे-तारीख’ कोर्ट नहीं बनने देना चाहते। डी वाई चंद्रचूड़ ने वकीलों से कहा कि जब तक ज्यादा जरूरी न हो तब तक कृपया स्थगन का निवेदन नहीं करें।

Advertisement

फिल्म दामिनी के डायलॉग का किया इस्तेमाल

सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकीलों द्वारा स्थगन के निवेदन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बीते 2 माह में ही वकीलों ने 3688 मामलों में स्थगन का निवेदन किया है। चंद्रचूड़ की पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह नहीं चाहते कि यह कोर्ट ‘तारीख-पे-तारीख’ कोर्ट बन जाए। सनद रहे कि ‘तारीख-पे-तारीख’ अभिनेता सनी देओल की फिल्म ‘दामिनी’ में एक डायलॉग है।

चंद्रचूड़ ने क्यों जताया अफसोस?

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अब वकीलों की संस्थाओं की सहायता से शीर्ष न्यायालय में मामला दायर होने के बाद नए मामले को सूचीबद्ध करने में वक्त का अंतर कम हो गया है। लेकिन, सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि पीठ के समक्ष मामले सूचीबद्ध होने के बाद वकील स्थगन का निवेदन करते हैं।

बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि स्थगन का निवेदन बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत देता है। चंद्रचूड़ ने कहा कि मामला दायर होने की अवधि से इसके सूचीबद्ध होने का वक्त घट रहा है। यह सब हम SCBA के सहयोग के बगैर हासिल नहीं कर सकते थे। चंद्रचूड़ ने कहा कि स्थगन मामले की शीघ्रतापूर्वक सुनवाई के उद्देश्य को यह प्रभावित करता है।

यह भी पढ़े : Manoj jha statement: आजकल के ठाकुर दिखावा करते हैं- तेज प्रताप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *