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कोलाइटिस का खतराः पेट की परेशानी को न करें नजरअंदाज

colitis

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Colitis: क्या आपको पेट में ऐंठन और दर्द रहता है। खाना सामने आता है तो खाने का मन नहीं करता। भूख लगना बंद हो गई है। स्टूल पास करने में दिक्कत आती है। इन सभी के साथ आपका वजन भी घट रहा है। यदि ये समस्याएं लंबे समय से आपको परेशान कर रही हैं तो आपको डाक्टरी परामर्श लेना आवश्यक है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि यह कोलाइटिस के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं।

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क्या होता है अल्सरेटिव कोलाइटिस

दरअसल कोलाइटिस एक इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिसऑर्डर (IBD) है। इस बीमारी में मरीज की बड़ी आंत में सूजन आ जाती है। उसमें जख्म हो जाते हैं। पेट में जलन भी होती है और दर्द रहता है। बड़ी आंत की सूजन का कारण कोई वायरस, पैरासाइट्स या बैक्टीरिया से होने वाला इन्फेक्शन हो सकता है। यदि यह बीमारी लंबे समय तक बनी रहे तो यह अल्सरेटिव कोलाइटिस का रूप ले लेती है। जो कि आजीवन बनी रहती है। बीमारी की गंभीरता लगातार बढ़ती रहे तो कॉलॉरेक्टल कैंसर का भी खतरा बना रहता है। इस बीमारी में आपकी बॉडी की इम्यूनिटी आपकी आंत पर ही हमला करने लगती है।

Colitis: लक्षण

  • रक्त या पस के साथ डायरिया
  • पेट दर्द या ऐंठन
  • भूख में कमी
  • रेक्टम से खून बहना
  • शौच करने में परेशानी
  • वजन घटना
  • आंखों में सूजन
  • लिवर डिसऑर्डर

Colitis: खत्म नहीं, नियंत्रित होती है बीमारी

यह एक ऐसी बीमारी है जो जड़ से खत्म तो नहीं होती। इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए नियमित उपचार, व्यायाम और संतुलित आहार की मदद ली जा सकती है। सामान्य तौर पर इसे विभिन्न दवाओं से नियंत्रित किया जाता है। गंभीर स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर्स सर्जरी भी करते हैं।

Colitis: क्या खाएं क्या नहीं

कोलाइटिस के मरीजों को केला, तरबूज, खरबूज और पके हुए फल, लीन प्रोटीन जैसे मछली, अंडे, सोया और टोफू, सफेद चावल, दलिया, मैश किए आलू, प्रोटीन शेक आदि का सेवन करना चाहिए। वहीं ब्रेड, पास्ता और अनाज, ब्राउन राइस, ओट्स, अखरोट, काजू, बादाम, मूंगफली, अलसी, बाजरा, कद्दू के बीज, तिल, चना, सोयाबीन, रेशेदार फल आदि से बचना चाहिए। डेयरी उत्पादों से भी बचना चाहिए। हल्दी, अश्वगंधा का सेवन भी लाभकारी है।

Colitis: करें कसरत, योग और ध्यान

इसमें चलना, सीढ़ियां चढ़ना, डांस करना,एरोबिक्स, तैराकी और साइकिल चलाना महत्वपूर्ण है। योग और ध्यान भी तनाव कम करने में सहायक रहते हैं।

डिस्क्लेमर– यह एक सामान्य जानकारी है। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर डाक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

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