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CJI होने के नाते मैं संविधान और कानून का सेवक हूं : चंद्रचूड़

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New Delhi : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक जज के रुप में वह कानून और संविधान के सेवक हैं। जब सीजेआई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ आज की कार्यवाही के लिए बैठी तो अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्पारा ने कोर्ट के समक्ष एक मामले का उल्लेख किया। वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि कॉलेजियम प्रणाली में सुधारों की आवश्यकता है, और वरिष्ठ अधिवक्ता पद खत्म कर देना चाहिए।

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सीजेआई चन्द्रचूड़ ने क्या कहा?

पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने मौथ्यूज जे नेदम्पुरा से कहा कि वकील होने के नाते आपको अपने दिल की बात सुनने की आजादी है। लेकिन, मुख्य न्यायाधीश के रूप में,  बल्कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण, एक न्यायाधीश के रूप में मैं कानून और संविधान का सेवक हूं। उन्होंने कहा कि मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है। मुझे उसका पालन करना होगा। मैं यह नहीं कह सकता कि मुझे यह पसंद है और मैं यह करुंगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अक्टूबर में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी थी।

कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग की गई है

वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा वकीलों के एक समूह की ओर से दलीलें पेश कर रहे थे। जजों के चयन तंत्र और वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करने की प्रणाली के खिलाफ अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं। एक याचिका में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के पुनरुद्धार का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग की गई है। साल 2014 में बीजेपी नीत एनडीए सरकार एनजेएसी अधिनियम लाई थी। जो कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अलग वैकल्पिक प्रणाली स्थापित करता है।

यह भी पढ़ें – सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के खर्च की सीमा तय करने वाली याचिका

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