कनाडा-भारत के विवाद में कूदे अमेरिका और ब्रिटेन
नई दिल्ली: सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के मामले को लेकर भारत और कनाडा के बीच पिछले कई सप्ताह से जारी तनाव में अब अमेरिका (America) और ब्रिटेन (Britain) की भी एंट्री हो गई है। अमेरिका और ब्रिटेन दोनों ने ही कहा है कि भारत को इस बात पर कायम नहीं रहना चाहिए कि कनाडा को भारत में अपने राजनयिकों (Diplomats) की मौजूदगी कम करनी चाहिए। कनाडा में सिख अलगाववादी नेता की हत्या के बाद कनाडा ने इसके पीछे भारतीय एजेंसियों का हाथ होने का संदेह जताया था। लेकिन भारत ने इससे इनकार किया था। इसके बाद से ही भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ने लगा था और मामला यहां तक पहुंच गया था कि कनाडा को भारत में कार्य कर रहे अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा।
अमेरिका की क्या राय है?
शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि भारत सरकार ने कनाडा से कहा था कि वो भारत में अपने राजनयिकों की मौजूदगी कम करे, उसके कहने पर राजनयिकों को कनाडा ने वापस बुलाया लिया है। हम कनाडाई राजनयिकों के भारत से जाने से चिंतित है। आगे अमेरिका ने कहा कि कनाडा ने भारत पर जो आरोप लगाए हैं, उन्हें लेकर वो गंभीर है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए राजनयिकों को मौजूद होना बेहद ज़रूरी है। हमने भारत सरकार से कहा है कि उसे इस बात पर कायम नहीं रहना चाहिए कि कनाडा को भारत में अपने राजनयिकों की मौजूदगी कम करनी चाहिए। इस मामले में कनाडा की जांच में भी भारत को सहयोग करना चाहिए।
ब्रिटेन की क्या राय है?
इस मामले को लेकर ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने भी अपना बयान जारी किया है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए दोनों देशों की राजधानियों में राजनयिकों को मौजूद होना और दोनों के बीच बातचीत जारी रहना ज़रूरी है। हम भारत सरकार के उस फ़ैसले से सहमत नहीं है जिस कारण कनाडा के कई राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा है। हम उम्मीद करते है कि दोनों पक्ष कूटनीतिक रिश्तों को लेकर 1961 में हुई विएना संधि के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेंगे। राजनयिक मिशन के सदस्यों को सुरक्षा देने वाली सुविधाएं और डिप्लोमैटिक इम्युनिटी का एकतरफ़ा हटाया जाना, विएना संधि के सिद्धांतों या उसके प्रभावी कामकाज के अनुरूप नहीं है।
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