लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में दिग्गजों की अग्नि परीक्षा , इन सीटों पर ठोक रहे ताल…7 मई को वोटिंग

MP Politics

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MP Politics: मध्य प्रदेश में पहले दो चरणों में कुल 13 सीटों पर चुनाव प्रचार समाप्त हो चुके हैं। अब बाकी बची हुई 16 सीटों पर तीसरे और चौथे चरण में मतदान होना है। 7 मई को होने वाले तीसरे चरण के मतदान से प्रदेश के तीन दिग्गज नेताओं का भविष्य जुड़ा हुआ है। दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री इस चुनाव के जरिए अपनी राजनीतिक यात्रा को गति देने की मशक्कत कर रहे हैं।

प्रदेश में तीसरे चरण का मतदान 7 मई को होना है। इसके लिए भाजपा कांग्रेस ने अपना दम लगा रखा है। कुल 8 सीटों पर होने वाले इस चुनाव के लिए जहां ग्वालियर, भिंड, मुरैना अपना अलग महत्व रखते हैं। वहीं गुना, राजगढ़ और विदिशा सीटों पर मौजूद भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी ने चुनाव को खास बना दिया है। 

दो पूर्व सीएम, एक केंद्रीय मंत्री मैदान में

MP Politics: प्रदेश के मामा के नाम से पहचाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए यह चुनाव एक नई राजनीतिक पारी का आगाज होगा। विदिशा सीट को भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट माना जाता है। साथ में शिवराज की अपनी छवि इस चुनाव को एक तरफा बनाए हुए है। इधर, राजगढ़ सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लिए जीत का महत्व इसलिए भी बढ़ा हुआ है कि उनकी यह हार जीत उनके दिल्ली दरबार में कद और पद को तय करेगा। फिलहाल राज्यसभा की सीढ़ियों से दिल्ली में बरकरार दिग्विजय को इस जीत से कांग्रेस में कुछ ज्यादा तवज्जो मिल सकती है। तीसरे चरण के चुनाव से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा की सवारी निरंतर रहने के हालात बनने वाले हैं। मप्र की सत्ता भाजपा के हाथों सौंपने के सूत्रधार बने सिंधिया के लिए भाजपा के साथ यह पहला चुनाव है। जिसकी हार जीत उनके लिए आगे की सियासत का रास्ता तय करेगी।

शिवराज के लिए चुनाव जीतना क्यों अहम?

MP Politics: ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान के लिए इस चुनावी मशक्कत के अलग अलग मायने हैं। जहां सिंधिया और दिग्विजय पहले से ही राज्यसभा में मौजूद हैं, वहीं शिवराज सिंह चौहान फिलहाल प्रदेश विधानसभा में शामिल हैं। इस लिहाज से जीत के बाद सिंधिया और दिग्विजय के लिए छोटा बदलाव होने की संभावना है। लेकिन, शिवराज को इस चुनाव जीत का सीधा असर प्रदेश से केंद्र में स्थापन के रूप में मिलेगा। सीएम कुर्सी से हटने के बाद उनके लिए प्रदेश में तय न हो पाने वाली भूमिका की स्थिति से भी उन्हें निजात मिल जाएगी।

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