PNB घोटाले का आरोपी मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के बाद बेल्जियम सरकार आया बयान, कहा- भारत ने की प्रत्यर्पण की मांग

Mehul Choksi Extradition : 

PNB घोटाले का आरोपी मेहुल चोकसी

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Mehul Choksi Extradition : एक ओर 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिका ने मुहर लगाई, तो दूसरी ओर 13,000 करोड़ के पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में धर दबोचा गया। भारत सरकार ने दोनों मामलों में तगड़ी कूटनीति का परिचय देते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून का लोहा मनवाया है।

भारत की कूटनीतिक डिप्लोमेसी की बड़ी जीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति अब सिर्फ रिश्तों तक सीमित नहीं रही। अब यह भगोड़े अपराधियों को देश वापस लाने का भी माध्यम बन गई है। पहले तहव्वुर राणा, अब मेहुल चोकसी, दोनों की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि भारत अब अपने अपराधियों को विदेशों में चैन से नहीं बैठने देगा।

कैसे और कहां हुआ गिरफ्तार?

बता दें कि 12 अप्रैल 2025 को मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया। एंटीगुआ से इलाज के लिए बेल्जियम पहुंचा चोकसी अब वहीं की अदालत की हिरासत में है। वहीं भारत ने चोकसी के औपचारिक प्रत्यर्पण के लिए याचिका दाखिल कर दी है और कानूनी दस्तावेज भी सौंप दिए गए हैं।

औपचारिक प्रत्यर्पण याचिका दायर

बेल्जियम सरकार ने बताया कि चोकसी को कानूनी सलाहकार तक पहुंच दी गई है। भारतीय अधिकारियों ने उसके प्रत्यर्पण के लिए जरूरी दस्तावेज भी बेल्जियम को सौंप दिए हैं, जिसमें मुंबई की अदालत की ओर से जारी गिरफ्तारी वारंट भी शामिल हैं।

भारत की कूटनीतिक सफलता

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चोकसी की गिरफ्तारी को भारत की कूटनीतिक जीत बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विदेशी न्यायिक सहयोग मजबूत हुआ है।

एंटीगुआ से बेल्जियम तक की यात्रा

2018 में भारत से फरार होने के बाद चोकसी एंटीगुआ में रह रहा था। हाल ही में इलाज के लिए वह बेल्जियम आया, जहां उसे गिरफ्तार किया गया। चोकसी, नीरव मोदी के बाद पीएनबी घोटाले में दूसरा प्रमुख आरोपी है।

चोकसी की कानूनी टीम का बचाव

मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि बेल्जियम में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत की जेलों की स्थिति चिंताजनक है और यह मामला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि चोकसी कैंसर का इलाज करवा रहे हैं और स्वास्थ्य कारणों से भारत नहीं आ सकते, हालांकि वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जांच में शामिल होने को तैयार हैं।

सीबीआई और ईडी की कार्रवाई जारी

पीएनबी घोटाले में सीबीआई और ईडी ने चोकसी और उसकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के खिलाफ कई आरोपपत्र दाखिल किए हैं। इन पर फर्जी एलओयू और एफएलसी के जरिए बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है।

दरअसल, जनवरी 2018 में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ एक बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें दस्‍तावेजों की हेरफेर की गई थी. पहले तो यह घोटाला 280 करोड़ रुपये का था, लेकिन धीरे-धीरे जब जांच आगे बढ़ी तो 13500 करोड़ रुपये का स्‍कैम सामने आया। इस मामले में 30 जनवरी 2018 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें आरोपी हीरा कारोबार मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी निकले। दोनों ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच को 13,500 करोड़ रुपये का चूना लगाया था। 

आखिर मेहुल चोकसी ने कैसे पीएनबी को लगाया चूना?  

नीरव मोदी और मेहुल चोकसी PNB से बिना सिक्‍योरिटी पेपर के करोड़ों का लोन लेते और उसपर इंटरेस्‍ट भी नहीं भरते। इसके लिए इन लोगों ने बैंक के कर्मचारियों को सेट कर रखा था, ताकि बिना सिक्‍योरिटी लोन आसानी से मिल जाए और बैंक रिकॉर्ड में भी ना रखे। आइए समझते हैं कैसे होता था पूरा खेल… 

दरअसल, अगर किसी बिजनेसमैन को किसी दूसरे देश के एक्‍सपोर्टर से बड़े अमाउंट का समान मंगाना है और उसके पास उतने पैसे नहीं है तो वह बैंक से मदद मांगते हैं। लेकिन विदेशी बैंक किसी दूसरे देश के नागरिक को ऐसे लोन अप्रूव नहीं करता है। इस कंडीशन में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) नाम का एक पेपर बिजनेसमैन को अपने देश के किसी भी बैंक से ट्रांसफर करवाना होता है, जिसके बाद विदेशी बैंक उस एक्‍सपोर्टर को बिजनेसमैन के नाम पर पैसा दे देती है।

LoU के बदले सिक्‍योरिटी पेपर रखनी होती है गिरवी

LoU जारी होने के बाद उस बैंक की जिम्‍मेदारी होती है कि वह विदेशी बैंक को पैसा दे। एलओयू बनाने के बदले बैंक बिजनेसमैन से उतने अमाउंट का सिक्‍योरिटी पेपर जैसी चीजें गिरवी पर रखता है। बस यहीं पर मेहुल चोकसी और नीरव मोदी खेल करते हैं। 

मेहुल चोकसी और नीरव मोदी बैंक कर्मचारियों की मदद से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) बनवा तो लेते थे, लेकिन सिक्‍योरिटी के नाम पर कुछ भी नहीं देते थे। वहीं कर्मचारी इस रिकॉर्ड को भी कहीं मेनटेन नहीं करते थे। यह सिलसिला साल 2011 से ही चलता रहा।

जब नीरव मोदी ने देखा कि यह सिस्‍टम काम कर रहा है तो इसके बाद उसने कई देशों में सेल कंपनियां बनाई और फिर उन कंपनियों के जरिए खराब क्‍वालिटी के हीरे की वैल्‍यू बढ़ाकर करोड़ों रुपये PNB बैंक से विदेश ले जाने लगा। बाद में जब बैंक को घाटा दिखा और जांच शुरू हुई तो फिर ये स्‍कैम सामने आया।

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