
Dr Meenakshi Jain : भारतीय इतिहास की गहरी समझ रखने‑वाली प्रसिद्ध विदुषी डॉ. मीनाक्षी जैन अब संसद के ऊपरी सदन में भारतीय सभ्यता की ध्वनि को नई ऊंचाई देंगी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित कर लिया है. राजनीति विज्ञान में पीएचडी प्राप्त करने के बावजूद उनका मन हमेशा से इतिहास की ओर रहा है. जिसके चलते गार्गी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में उन्होंने वर्षों तक इतिहास पढ़ाया है.
शोध और शिक्षण का सफर
दरअसल नेहरू मेमोरियल म्यूजियम व लाइब्रेरी, ICHR तथा ICSSR जैसी शीर्ष संस्थाओं में उनका शोध मध्यकालीन व औपनिवेशिक भारत की संस्कृति, धर्म और परम्परा पर केन्द्रित रहा है. मूर्ति‑पूजा, मंदिर‑सुरक्षा तथा भक्तों के योगदान को उन्होंने प्रामाणिक साक्ष्यों के साथ सामने रखा है.
डॉ. मीनाक्षी जैन की चर्चित किताबें
- ‘राम और अयोध्या’ – अयोध्या का सांस्कृतिक इतिहास
- ‘दि बैटल फॉर राम’ – मंदिर आन्दोलन का दस्तावेज
- ‘सती’ – उपनिवेशकालीन विमर्श का विश्लेषण
- ‘देवताओं का पलायन और मंदिरों का पुनर्जन्म’ – आक्रांतियों के दौर में देव‑प्रतिमाओं की रक्षा
साथ ही, तीन‑खंडीय The India They Saw का सम्पादन कर उन्होंने विदेशी यात्रियों की दृष्टि से भारत को प्रस्तुत किया.
व्याख्यानों से ज्ञान‑विस्तार
इतना ही नहीं अपने जीवन से सफर में डॉ. जैन ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और मथुरा जैसे स्थलों से प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर उन्होंने सिद्ध किया कि भारतीय सांस्कृतिक की जड़ें सहस्राब्दियों पुरानी हैं. उनके सहज व्याख्यानों ने इतिहास को अकादमिक दीवारों से निकाल कर सामान्य पाठक के सामने रखा. बात 2020 की है जब भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया था.
पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने राज्यसभा भेजे जाने पर मीनाक्षी जैन को शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा कि शिक्षा साहित्य, इतिहास और राजनीति के क्षेत्र में उनके कार्यों ने अकादमिक विमर्श को काफी समृद्ध किया है. मै उनके संसदीय कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता हूं.
संसद में अपेक्षित प्रभाव
गौरतलब है कि डॉ. जैन अपने गहरे ज्ञान और भारतीय संस्कृति पर किए गए शोध के अनुभव के साथ संसद में नई सोच और समझ लेकर आएंगी. उनकी मौजूदगी से अब मंदिरों, पर्यटन और साथ ही पुरानी परंपराओं से जुड़े मुद्दों पर ठोस और सही चर्चा हो सकेगी. दिलचस्प बात है कि अब पढ़ाई, रिसर्च और लेखन करने वाले लोगों को भी संसद में जगह दी जा रही है. यह युवा पिड़ी के लिए एक बड़ा संदेश साबित होगा.
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