बिहार में आस्था का अद्भुत केंद्र: चीन यात्री ह्वेनत्सांग ने की थी पूजा, गांव भर में नहीं जलता चूल्हा

Mata Shitla Mandir in Bihar
Mata Shitla Mandir in Bihar: आस्था की गमक अद्भुत है. भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं. ऐसी ही आस्था की गमक और भक्तों के अनूठे जतन को जानने के लिए आपको आना होगा बिहार. यहां बिहारशरीफ मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर मघड़ा गांव में भी आस्था का एक ऐसा ही केंद्र है. जो कि मां शीतला माता मंदिर के नाम से जाना जाता है.
कहा जाता है कि राजा हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनत्सांग ने इस मंदिर में पूजा की थी. यहां की मान्यता के अनुसार इस गांव में शीतलाष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलता है. दरअसल भक्त माता के लिए एक दिन पहले ही प्रसादी तैयार करते हैं. उस बासी प्रसाद से ही माता को भोग लगाया जाता है. इसके बाद भक्त इसे ग्रहण करते हैं. मंगलवार को यहां शीतलाष्टमी मनाई जाएगी. इसी क्रम में यहां मेले का भी आयोजन होगा.
इस अवसर पर मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। शीतलाष्टमी मेला के दिन मघड़ा व इसके आसपास के दर्जनों गांवों में चूल्हा नहीं जलता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन यहां देश के कोने-कोने से लोग पूजा अर्चना करने आते हैं । चैत्र अष्टी के मौके पर मां शीतला की पूजा-अर्चना के लिए सूबे के विभिन्न जिलों के अलावा झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश से भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं आते हैं। मघड़ा गांव में काफी पुराना मिट्ठी कुआं है। इसी कुएं के पानी से सप्तमी की शाम में बसिऔरा के लिए भोजन तैयार किया जाता है।
प्रसाद में अरवा चावल, चने की दाल, सब्जियां, पुआ, पकवान आदि बनाया जाता है। खास बात यह कि मां शीतला मंदिर में दिन में दीपक नहीं जलते हैं। धूप, हुमाद व अगरबत्ती जलाना भी मना है। मां शीतला मंदिर के पास ही बड़ा सा तालाब है। मां के दर्शन को आने वाले श्रद्धालु तालाब में स्नान करने के बाद ही पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि तालाब में स्नान करने से चेचक रोग से निजात मिल जाती है। शरीर में जलन की शिकायत है तो उससे भी राहत मिलती है।
रिपोर्टः आशीष कुमार, संवाददाता, नालंदा, बिहार
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