Maharashtra: पांच हजार किसान कर रहे हैं मुंबई कूच, निकालेंगे 200 किलोमीटर का पैदल मार्च

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महाराष्ट्र में एक बार फिर किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हजारों किसान मुंबई कूच करने के लिए पैदल मार्च कर रहे हैं। इसी बीच सरकार ने किसानों की मांगों को सुनने के लिए मंत्री दादा भूसे और अतुल सावे को जिम्मा सौंपा दिया है। दोनों मंत्री अब जाकर किसानों से उनके मुद्दों पर बातचीत करेंगे। आपको बता दें करीब 5 हजार किसान मुंबई की ओर कूच कर रहे हैं।

200 किलोमीटर पैदल मार्च करेंगे किसान

नासिक जिले के डिंडोरी से शुरू हुआ यह मार्च सीपीएम (CPM) के नेतृत्व में आयोजित किया गया है। यह मार्च मुंबई पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इनमें अधिकतर किसान आदिवासी समुदाय से हैं, जो वन भूमि अधिकार और अन्य किसान संबंधित मुद्दों पर राहत की मांग के लिए पैदल मार्च कर रहे हैं। आयोजकों ने कहा कि किसानों के अलावा, असंगठित क्षेत्र के कई कार्यकर्ता, जैसे आशा कार्यकर्ता और आदिवासी समुदायों के सदस्य मार्च में शामिल हैं।

क्या है किसानों की मांग

इससे पहले राजधानी में भी विशाल किसान आंदोलन हो चुका है। इसमें किसानों की केंद्र सरकार द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों को वापस लेना और एमएसपी पर कानून बनाने जैसी मांग थी। इसी तरह महाराष्ट्र के किसानों की भी कुछ मांगें हैं। किसानों की मांग है कि प्याज को उचित दामों पर दिया जाए। कपास, सोयाबीन, अरहर, मूंग, दूध और हिरदा का लाभकारी मूल्य दिया जाना, प्याज के लिए 2000 रुपये प्रति क्विंटल कीमत और निर्यात नीतियों में बदलाव के साथ-साथ 600 रुपये प्रति क्विंटल की तत्काल सब्सिडी की मांग शामिल है।

नेताओं को किसानों के पास आना चाहिए

बुधवार को सरकार और किसानों के शिष्टमंडल के बीच होने वाली बैठक रद्द हो गई। दरअसल, किसानों का कहना है कि राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को पैदल चल रहे किसानों से मिलकर बातचीत करनी चाहिए। कैबिनेट मंत्री दादा भूसे ने कहा, ”किसानों के 14 मुद्दे हैं। मैं समझता हूं कि कानून के दायरे में रहकर जो कुछ किया जा सकता है, वह हम करेंगे।”

ठाकरे का सरकार पर हमला

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार पर किसानों के पैदल मार्च के लेकर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे ने कहा, ”जिसे हम अन्नदाता कहते हैं, इतनी दूर से उन्हें यहां आने की जरूरत पड़ रही है। यह शर्म की बात है। किसान यहां आ रहे हैं, आप कब मिलेंगे। इससे पहले जब ऐसा मोर्चा कुछ साल पहले निकला था, तब शिवसेना की ओर से आदित्य सहित कुछ लोग गए थे। उन्हें पानी सहित कुछ चाहिए था, हमने वो दिया था। किसान यहां आ रहे हैं, आपको वहां जाकर मिलना चाहिए था। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री जनता के आदमी हैं।”

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