
Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में आस्था की लहर के बीच एक नया नाम चर्चा का विषय बन गया है – साध्वी हर्षा रिछारिया। सोशल मीडिया पर एक इंफ्लूएंसर के तौर पर पहचान बना चुकी हर्षा अब अध्यात्म के मार्ग पर चलने के बाद सुर्खियों में हैं। महाकुंभ के आगमन के साथ ही उनके अद्भुत परिवर्तन ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
हर्षा रिछारिया के गुरु, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंद गिरी जी महाराज, निरंजनी अखाड़ा से जुड़े हुए हैं, और यही कारण है कि हर्षा का सफर अब धार्मिक क्षेत्र में एक नई दिशा में अग्रसर हो चुका है। हालांकि, उनके लेंस और कृत्रिम जटाओं को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं, और लोग जानना चाहते हैं कि क्या यह उनके धर्मिक रूप को सही ठहराता है?
हर्षा का भविष्य और प्लान
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में हर्षा ने खुलकर अपने भविष्य के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “शादी और गृहस्थ जीवन को लेकर मैंने कोई सोच विचार नहीं किया है। मेरा मुख्य उद्देश्य धर्म, संस्कृति, और युवाओं को जागरूक करना है। मुझे लगता है कि भगवान ने मुझे इसी कार्य के लिए चुना है।” उनका मानना है कि यदि हर कोई सरकारी नौकरी और विदेशों में बसने का सपना देखेगा, तो धर्म के काम को कौन करेगा?
विवादों पर हर्षा का स्पष्ट जवाब
अपनी वेश-भूषा और रूप को लेकर उठते सवालों पर हर्षा ने बेहद स्पष्टता से जवाब दिया। उन्होंने कहा, “क्या सनातन धर्म से जुड़ने के लिए हमें अपनी पहचान को पूरी तरह से बदलना पड़ेगा? मैंने कभी भी यह नहीं कहा कि मैं संत हूं। मुझे ईश्वर की भक्ति करना अच्छा लगता है, इसलिए मैं यह रास्ता अपना रही हूं।” उन्होंने अपनी जटाओं और लेंस के बारे में भी खुलासा किया, “मैं पावर लेंस लगाती हूं, और जटाएं भी मैंने अपनी आस्था और पसंद के आधार पर बनाई हैं। जो मुझे सुकून देता है, वही मैं करती हूं। मुझे जो अच्छा लगता है, वही पहनती हूं, चाहे साड़ी हो या धोती-कुर्ता।”
हर्षा रिछारिया का यह सफर न केवल व्यक्तिगत रूप से एक बदलाव का प्रतीक है, बल्कि यह धर्म और आत्मा के मार्ग पर चलने की एक नई पहल को भी उजागर करता है।
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