Madras HC: कथित तौर पर PFI से जुड़े लोगों को कोर्ट से राहत, UAPA के तहत मामला था दर्ज
Bombay HC: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में देश में आतंकवादी कृत्यों की साजिश रचने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित 8 सदस्यों को जमानत दे दी। जस्टिस एसएस सुंदर और सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपीलकर्ताओं पर “आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने” के लिए धन इकट्ठा करने में शामिल होने का आरोप लगाया। लेकिन उन्हें किसी भी आतंकवादी गतिविधियों से सीधे जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं था।
Madras HC: आरएसएस नेताओं से जुड़े कुछ दस्तावेज पाए गए
मामले में सुनवाई के दौरान एनआईए ने अदालत को बताया था कि अपीलकर्ताओं के पास आरएसएस नेताओं और अन्य हिंदू संगठनों की कुछ “चिह्नों वाली तस्वीरें” सहित कई दस्तावेज पाए गए थे, जिससे पता चलता है कि ये नेता “हिट लिस्ट” में थे। हालांकि, इस दलीली पर न्यायालय ने माना, “आरएसएस या अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं और नेताओं की कुछ तस्वीरें भी विशिष्ट चिह्नों के साथ ली गई हैं। इनमें से किसी भी दस्तावेज़ से किसी भी आतंकवादी कृत्य में संलिप्तता या आतंकवादी संगठन के साथ उसके जुड़ाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।”
पीएफआई का उद्देश्य राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना
कोर्ट में एनआईए ने यह भी तर्क दिया था कि “विज़न डॉक्यूमेंट” के आधार पर, पीएफआई का उद्देश्य राजनीतिक शक्ति हासिल करना और वर्ष 2047 तक भारत में एक इस्लामी सरकार की स्थापना की दिशा में काम करना है। इसपर कोर्ट ने आगे कहा कि जब एनआईए द्वारा अपीलकर्ताओं की गतिविधियों को “पीलियाग्रस्त आंखों” से देखा जाएगा, तो उनकी प्रत्येक गतिविधि गैरकानूनी प्रतीत हो सकती है। और इसे एक तथ्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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