स्व-सहायता समूह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इनके सशक्तिकरण से ही महिलाएं होंगी समृद्ध : CM मोहन यादव

Madhya Pradesh :

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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Madhya Pradesh : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। स्व सहायता समूह हमारे प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इनके सशक्तिकरण से न केवल महिलाओं की स्थिति मजबूत होगी, बल्कि राज्य की समग्र प्रगति भी सुनिश्चित होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन) के अंतर्गत मध्यप्रदेश में 5 लाख 3 हजार 145 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है। इन स्व-सहायता समूहों से 62 लाख 30 हजार 192 महिला सदस्य जुड़ी हैं और सरकार की आजीविकास विकास योजनाओं से लाभान्वित हो रही हैं।

सीएम यादव ने अधिकारियों को दिए निर्देश

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि स्व-सहायता समूहों को बाजार से जोड़ने, प्रशिक्षण देने और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने समूहों की आय बढ़ाने के लिए नए अवसरों को तलाशने और उन्हें आत्म-निर्भर बनाने के लिए ठोस कार्य योजना भी तैयार करने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ज्ञान (जीवायएएन) संकल्प के अनुरूप राज्य सरकार महिलाओं को आर्थिक संबल देने एवं नारी सशक्तिकरण के लिए हर जरूरी कार्य कर रही है।

‘लखपति दीदी’ योजना के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में कार्य

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अधिकाधिक ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए पोषण आहार संयंत्रों (टेक होम राशन संयंत्र) एवं किसान उत्पादक समूहों द्वारा तैयार प्रोडक्ट की रेंज एवं गुणवत्ता बढ़ाई जाए। इससे बाजार की मांग पूरी की जा सकेगी और महिलाओं की आय में भी वृद्धि होगी।

महिला स्व-सहायता समूहों का बड़ा नेटवर्क

बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में महिला स्व-सहायता समूह गठित हैं। इन समूहों को दिए जा रहे कामों से प्रदेश की 62 लाख से अधिक महिलाएं अपने गांव में ही रोजगार पा रही हैं।

टेक होम राशन संयंत्रों में सुधार की आवश्यकता

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वर्तमान में देवास, धार, सागर, मंडला, रीवा, शिवपुरी एवं नर्मदापुरम में संचालित पोषण आहार संयंत्रों में उत्पादित टीएचआर प्रोडक्ट के टेस्ट और गुणवत्ता में नए परिवेश में बदलाव की आवश्यकता है।

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