Lumphy Disease In India: जानिए तेजी से फैलते लंपी वायरस के लक्षण और बचाव के तरीके

Lumphy disease
नई दिल्ली : एक संक्रामक, लाइलाज चर्म रोग ने राजस्थान और गुजरात में पशुओं पर मानों कहर बरपाया हुआ है. राज्य में लगभग तीन महीने में 1200 से अधिक गायों की इससे मौत हो चुकी है और 25000 मवेशी संक्रमित हैं. इस रोग का कोई सटीक उपचार न होने के कारण यह तेजी से फैलता जा रहा है. इससे गोपालकों की चिंता बढ़ती जा रही है. कुछ अधिकारियों का कहना है कि गांठदार चर्म रोग वायरस (एलएसडीवी) या लंपी रोग नामक यह संक्रामक रोग इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आया।
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अफ्रीका में पैदा हुई यह बीमारी अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आई थी. कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गायों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण अन्य रोग आक्रमण करते हैं।
इस विशेष बीमारी का कोई इलाज या टीका नहीं है और लक्षणों के अनुसार उपचार दिया जाता है. उन्होंने बताया कि प्राथमिक लक्षण त्वचा पर चेचक, तेज बुखार और नाक बहना है।
इस विशेष बीमारी का कोई इलाज या टीका नहीं है और लक्षणों के अनुसार उपचार दिया जाता है. उन्होंने बताया कि प्राथमिक लक्षण त्वचा पर चेचक, तेज बुखार और नाक बहना है. इस वायरस के संक्रमण के बाद पशु को तेजी से बुखार आता है. बुखार आने के बाद उसकी शारीरिक क्षमताएं गिरने लगती हैं. कुछ दिनों बाद संक्रमित पशु के शरीर पर चकते के निशान उभर आते हैं।
लम्पी वायरस एक गाय से दूसरी गाय के सिर्फ संपर्क में आने पर ही फैल रहा है. लम्पी त्वचा रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलती है. इससे पशुओं में तमाम लक्षणों के साथ उनकी मौत भी हो सकती है।
यह बीमारी तेजी से मवेशियों में फैल रही है. इसे ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ (एलएसडीवी) कहते हैं. दुनिया में मंकीपॉक्स के बाद अब यह दुर्लभ संक्रमण वैज्ञानिकों की चिता का कारण बना हुआ है. इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को टीका लगाया जा रहा है. वहीं रोग से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं।