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Ayodhya: रामलला ने धारण किए है दिव्य आभूषण, जानें खासियत

Ayodhya Ramlala
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Ayodhya Ramlala: लंबे समय तक इंतजार करने के बाद, आखिरकार 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ. बहुत से भक्त भगवान राम को देखने के लिए अयोध्या पहुंचे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद, रामलला को अद्भुत वस्त्रों और आभूषणों से सजाया गया। उन्हें देखकर भक्तगण बिना पलक झपकाए रामलला को एक टक निहारते रह गए।

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Ayodhya Ramlala: रामलला ने कौन से आभूषण धारण किए

सिर पर मुकुट

यह उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है. मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं. मुकुट के दांईओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं.

कानों में कुण्डल

मुकुट या किरीट के अनुरूप ही और उम्नी डिजाईन के क्रम में भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं, जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है.

कण्ठा

गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित एक कण्ठा है, जिसमें मंगल का चित्रण करते हुए पुष्प लगाए गए हैं. मध्य में सूर्य देव हैं। हीरे, माणिक्य और पन्ना इस सोने के कण्ठा में जड़े हैं। कण्ठे में पन्ने की लडियां हैं।

भगवान के हृदय में

कौस्तुभममणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है. यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं. इसलिए इसे धारण करवाया गया है

पदिक

कण्ठ से नीचे और नाभिकमल से ऊपर पहनाया गया हार होता है, जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्व है. यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है.

वैजयन्ती या विजयमाल

यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा और स्वर्ण से निर्मित हार है, जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमश: कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं.

कमर में कांची या करधनी

भगवान के कमर में करधनी धारण कराई गई है, जिसे रत्नजड़ीत बनाया गया है. स्वर्ण
पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से
यह अलंकृत है. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घण्टियां भी इसमें लगाई
गई हैं. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियां भी लटक रही हैं.

भुजबन्ध या अंगद

भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित मुजबन्ध पहनाए गए हैं. दोनों ही हाथों में रत्नजड़ित सुन्दर कंगन पहनाए गए हैं. बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजड़ित मुद्रिकाएं सुशोभित हैं.

पैरों में ठड़ा और पैजनियां

पहनाए गए हैं, साथ ही स्वर्ण की पैजनियां पहनाई गई हैं.

भगवान के बाएं हाथ

भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हैं, इसी तरह
दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाण धारण कराया गया है.

भगवान के गले में

रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वजमाला धारण कराई गई है, जिसका निर्माण
हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है.

भगवान के मस्तक पर

उनके पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है.

भगवान के चरणों के नीचे

रामलला के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है.

भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है.

धारण किए पीतांबर वस्त्र

भगवान राम को प्राण प्रतिष्ठा के दौरान बनारसी कपड़े की पीतांबर धोती और लाल पटुके पहना गया है। यह कपड़े शुद्ध सोने की जरी से बनाए जाते हैं। इन पर वैष्णव मंगल चिन्ह, शंख पद्म चक्र और मयूर चित्रित हैं। इन वस्त्रों को दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार मनीष त्रिपाठी ने अयोध्या धाम में रहकर बनाया है।

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