Lakshadweep Tourism: लक्षद्वीप सांसद का दावा, ‘ज्यादा संख्या में नहीं संभाल पाएंगे टूरिस्ट’

Lakshadweep Tourism: भारत-मालदीव विवाद (India-Maldives Conflict) के बीच सोशल मीडिया पर ‘चलो मालदीव’ अभियान चलाया जा रहा है। ये अभियान लक्षद्वीप पर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए चलाया जा रहा है। इसी बीच लक्षद्वीप सांसद ने कुछ ऐसा कहा है कि लोग लक्षद्वीप जाने से पहले शायद दो बार सोंचे।
भारी संख्या में पर्यटकों की नहीं संभाल पाएंगे
NCP सांसद मोहम्मद फैजल (Mohammed Faizal Padippura) ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि लक्षद्वीप के पास इतनी क्षमता नहीं है कि यहां भारी संख्या में पर्यटकों आ सकें। न हीं लक्षद्वीप के लिए इतनी फलाइटस है और न ही यहां इतने होटल हैं। अगर ये समस्या दूर भी कर दी जाए तो भी लक्षद्वीप का ईकोसिस्टम सेंसेटिव होने के कारण ज्यादा पर्यटक नहीं झेल पाएगा।
‘इंटीग्रेटेड आइलैंड मैनेजमेंट प्लान’ के आधार पर ही होगा विकास
मोहम्मद फैजल ने कहा कि सेंसेटिव ईकोसिस्टम होने के कारण सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमूर्ति रवींद्रम आयोग ने एक “एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना” बनाई थी। इसके आधार पर ही यहां विकास किया जाता है। आयोग की इस रिपोर्ट में पर्यटकों की संख्या को सीमित रखने और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को लेकर भी सुझाव दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले पर्यटकों को इस बात की सहमति देनी होगी कि वो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
लक्षद्वीप का इतिहास
1 नवम्बर 1956 को, भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के दौरान, प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए लक्षद्वीप को मद्रास से अलग कर एक केन्द्र-शासित प्रदेश के रूप में गठित किया गया था। 1 नवम्बर 1973 के नया नाम अपनाने से पहले इस क्षेत्र को लक्कादीव-मिनिकॉय-अमिनीदिवि के नाम से जाना जाता था। लक्षद्वीप द्वीपसमूह में बारह प्रवाल द्वीप (एटोल), तीन प्रवाल भित्ति (रीफ) और पाँच जलमग्न बालू के तटों को मिलाकर कुल 36 छोटे बड़े द्वीप हैं। यहां केवल 10 द्वीपों पर लोग रहते हैं।
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