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Police Commissionerate System क्या होता है? जानिए कैसे करता है यह काम

Police Commissionerate System
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आज भारत के कई बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम (Police Commissionerate System) लागू है। शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद कानून-व्यवस्था और सीआरपीसी के सभी अधिकार पुलिस आयुक्त को मिल जाते हैं। आइए जानते हैं कि क्या होता है पुलिस कमिश्नरी सिस्टम?

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Police Commissionerate System

आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लागू किया था। उस वक्त सभी प्रकार की न्यायिक शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास होती थी। भारत में अभी मौजूदा पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम 1861 पर आधारित है।

देश की आजादी के बाद यह प्रणाली अन्य शहरों में भी लागू की गई। यह व्यवस्था लागू होने के बाद पुलिस को कोई कार्रवाई करने के लिए डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता है। इस व्यवस्था में डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं। किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होते हैं।

पुलिस कमिश्नर के पास क्या-क्या अधिकार होते हैं?

  • पुलिसकर्मियों का तबादला का अधिकार
  • लाठी चार्ज या फायरिंग का आदेश देने का अधिकार
  • कानून-व्यवस्था संबंधी अधिकार
  • शस्त्र लाइसेंस देने का अधिकार
  • बार लाइलेंस जारी करने का अधिकार
  • होटलों का लाइसेंस जारी करने का अधिकार
  • धरना प्रदर्शन की इजाजत देने का अधिकार
  • लाठी चार्ज पर फैसला करने का अधिकार
  • पुलिस बल की संख्या तय करने का अधिकार
  • भूमि संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार

पुलिस कमिश्नरी सिस्टम के अधिकारी

पुलिस कमिश्नर सिस्टम में ADG रैंक का अधिकारी पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) होता है। ये पुलिस कमिश्नर सिस्टम का सबसे बड़ा पद होता है। इसके बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त (Joint Commissioner of Police) होता है। इसपर आईजी रैंक के अधिकारी नियुक्त होते हैं। इसके बाद DIG रैंक के अधिकारी अपर पुलिस आयुक्त (Additional Commissioner of Police) बनाए जाते हैं।

पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली में जनपदों को अलग-अलग जोन में बांट दिया जाता है। फिर प्रत्येक जोन में एसएसपी या एसपी रैंक का अधिकारी पुलिस आयुक्त (Deputy Commissioner of Police) नियुक्त किया जाता है। उसके अधीन अपर पुलिस उपायुक्त (Additional Duputy Commissioner of Police) होते हैं। जिले में सर्किल और थाने में Circle Officer की जगह सहायक पुलिस आयुक्त (Assistant Commissioner of Police) होते हैं। इनके अधीन थाने के एसएचओ आते हैं।

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