वो कौन सी वजह थी जिसके कारण शिंजो आबे ने आजीवन भारत के मित्र बने रहने का किया था वादा

Shinzo Abe Death
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Shinzo Abe Death: आज यानि 8 जुलाई 2022 को जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे का निधन हो गया। उन्हें एक हमलावर ने तब गोली मार दी जब वे नारा में एक राजनीतिक सभा में भाषण दे रहे थे। आज हम आपको शिंजो आबे के जीवन से जुड़े कुछ तथ्यों को बताएंगे। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि वो कौन सी वजह थी जिसके कारण शिंजो आबे ने आजीवन भारत के साथ मित्रता निभाने का वादा किया था।

राजनीतिक सफर

आबे 26 सितंबर 2006 को पहली बार जापान के प्रधानमंत्री (Shinzo Abe Death) बने थे, और उस वक्त जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने का कीर्तिमान स्थापित किया। 2006-07 तक पीएम रहने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वे 2012 से 2020 तक पीएम पद पर बने रहे। आपको एक बात और बता दें कि वे जापान के सबसे लंबे समय तक पीएम बनने वाले व्यक्ति रहे।

पारिवारिक इतिहास

राजनीति शिंजो (Shinzo Abe Death) के खून में था यानि जापान के शासन में रहने का शिंजो आबे के परिवार का इतिहास रहा है। उनके दादा नोबोसुके किशी पूर्व में जापान के प्रधानमंत्री रह चुके थे। इसके अलावा उनके चाचा इसाकु सैतो जापान में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के मामले पर दूसरे स्थान पर हैं।

व्यक्तित्व

शिंजो आबे अंतर्मुखी यानि इंट्रोवर्ट किस्म के इंसान रहे लेकिन अपने सरल व्यवहार और मृदुभाषिता के लिए वे जापान में काफी लोकप्रिय थे। राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई करने वाले शिंजो ने राजनीति में आने से पहले जापान की एक स्टील फैक्ट्री में 3 साल तक काम किया। जहां तक राजनीतिक वारिस की बात है तो शिंजो आबे की कोई संतान नहीं है। बताया जाता है कि शिंजो को तीरंदाजी में काफी रुचि रही।

भारत के साथ रिश्ता

शिंजो आबे (Shinzo Abe Death) के कार्यकाल के दौरान भारत और जापान के रिश्तों में काफी नजदीकियां रहीं। वे जापान के ऐसे पीएम रहे जिसने अपने कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा बार भारत की यात्रा की। भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की शुरुआत में पीएम मोदी और शिंजो आबे की दोस्ती का बड़ा योगदान माना जाता है।

दादा ने 1957 में की थी भारत की यात्रा

शिंजो आबे ने वादा किया था कि वे आजीवन भारत के मित्र बने रहेंगे। इसके पीछे भी एक दिलचस्प वाक्या है। शिंजो आबे के दादा नोबोसुके किशी 1957 में भारत की यात्रा की थी। ऐसा करने वाले वे जापान के पहले प्रधानमंत्री थे। तब जापान आर्थिक रुप से इतना संपन्न देश नहीं था।

आजीवन भारत का मित्र बना रहूंगा

तब उस समय के तात्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु ने हजारों लोगो के सामने किशी का परिचय कराते हुए कहा था कि वे उनका सम्मान करते हैं। इसी को याद करते हुए शिंजो आबे ने कहा था कि मैं आजीवन भारत का मित्र बना रहूंगा और उन्होंने इस वादे को निभाया भी। आज शिंजो आबे के रुप में जापान ने अपना नेता तो खोया ही है लेकिन भारत ने भी एक सच्चा दोस्त खो दिया है।