
केदारनाथ धाम में हुई एक और हिमस्खलन की घटना ने लोगों में हलचल मचा दी। लोगों ने केदारनाथ मंदिर के पीछे ग्लेशियर के टूटने को देखा। सुबह 7:30 बजे, सुमेरु पर्वत पर एवलांच केदारनाथ धाम से लगभग तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर था। इस हिमस्खलन की घटना के दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं की सांसें रुक गईं। केदारनाथ मंदिर के पीछे से सुमेरु पर्वत से बर्फ बहने लगी। खुशियाँ मनाने का मौका मिला कि एवलांच केदारनाथ धाम से दूर होने के कारण जीवन और संपत्ति का कोई नुकसान नहीं हुआ। लोग ग्लेशियर के टूटने की वीडियो बनाने में लगे रहे।
यह जान लें कि उच्च हिमालय क्षेत्र में हिमस्खलन की घटनाएं अक्सर होती हैं। केदारनाथ धाम में इस साल अप्रैल के दौरान एवलांच आया था, और मई महीने में पैदल यात्रा मार्ग पर ग्लेशियर के टूटने से यात्रा पर असर पड़ा। अप्रैल के बाद जून में फिर से एवलांच की घटना हुई। पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में तीन बार हिमस्खलन हुआ था, लेकिन श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। हिमस्खलन की यह पांचवीं घटना ने पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंताओं को और भी गहरा बना दिया है।
ग्लेशियर टूटने के कारण हर तरफ सफेद धुंआ छा गया। श्रद्धालुओं ने इस घटना को अपने कैमरे में कैद किया। गनीमत ये रही कि एवलांच काफी दूर होने से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। बता दें इस वर्ष चौथी बार यहां ग्लेशियर टूटने की घटना हो चुकी है। दरअसल उच्च हिमालय क्षेत्र में अक्सर हिमस्खलन की घटनाएं होती हैं।
केदारनाथ धाम में रविवार सुबह 7:25 बजे के करीब केदारनाथ मंदिर के पीछे सुमेरु पर्वत श्रृंखला के नीचे चौराबाड़ी की ओर पर्वत श्रृंखलाओं के बीच ग्लेशियर टूटकर नीचे गिरता नजर आया। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस प्रकार की घटनाएं हिमालय में पूर्व में भी कई बार होती रही हैं। केदारनाथ धाम में इस साल मई में भी एवलांच आया था जबकि बीते साल सितंबर और अक्टूबर में भी एवलांच की तीन घटनाएं हुई थीं।
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