Joshimath: वन टाइम सेटलमेंट के विकल्प से असहमत हैं आपदा प्रभावित

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Joshimath: उत्तराखंड स्थित जोशीमठ में भू धंसाव से प्रभावित लोगों ने सरकार द्वारा दिए गए विकल्पों पर असहमति जताई है। दरअसल, जोशीमठ आपदा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और विस्थापन को लेकर सरकार ने उन्हें तीन विकल्प दिए हैं। जिसपर उन्हें आपत्ति है। असहमति जताते हुए प्रभावितों ने बताया कि सरकार द्वारा विकल्पों को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

जिसके बाद जोशीमठ के स्थायी निवासी वन टाइम सेटलमेंट के लिए राजी नहीं हैं। मामले में जब कुछ लोगों से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अपनी बात कही।

स्थानियों ने बताई ये वजह

स्थानिय निवासी दिगंबर बिष्ट ने बताया कि तीन जनवरी से हम बेघर हैं। उनका कहना है कि अखबारों के माध्यम से बार-बार ये कहा जा रहा है कि वन टाइम सेटलमेंट करेंगे, लेकिन किस आधार पर किया जाएगा, यह साफ नहीं किया गया है। और आंदोलन करने के बाद बताया गया कि उन्हें मुआवजा सीपीडब्ल्यूडी के रेट के आधार पर दिया जाएगा, लेकिन उन्हें लगभग 23,685 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है। इसमें मकान बनाना संभव नहीं है। वन टाइम सेटलमेंट के मानकों को भी उजागर नहीं किया गया है। जिससे हम दुविधा में हैं। वहीं, दूसरे निवासी प्रसाद बहुगुणा ने बताया कि जोशीमठ के स्थायी निवासी वन टाइम सेटलमेंट नहीं चाहते हैं। यहां पर हमारा कारोबार चलता है। हमें मकान व भूमि की क्षति का आकलन कर मुआवजा दिया जाए, यदि हमारी भूमि रहने लायक है तो उसकी रिपेयरिंग कर हमें वहां रहने दिया जाए।

उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग करेगा जांच

मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग जोशीमठ में अनुसूचित जाति के प्रभावित से राहत में भेदभाव के आरोप की जांच करेगा। मामले में जानकारी देते हुए आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने बताया कि जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र गांधी कालोनी में अनुसूचित जाति वर्ग के प्रभावितों के संबंध शिकायत मिली है। जिसके मद्धेनजर वे मामले की जांच के लिए जोशीमठ जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने इस शिकायत पर जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से बात भी की थी। हालांकि मुख्य विकास अधिकारी ने इस संबंध में आरोप को असत्य बताया है। और इस विषय पर उनकी बात मुख्यमंत्री से भी हो चुकी है। जिसको लेकर उन्होंने कहा कि जल्द ही वह जोशीमठ जाकर मामले को देखेंगे।

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