UN: महिलाओं की बराबरी का लक्ष्य असंभव, महिलाएं हो रही भेदभाव का शिकार

UN: महिलाओं की बराबरी का लक्ष्य असंभव, महिलाएं हो रही भेदभाव का शिकार
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग ने लैंगिक समानता को लेकर काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के साथ मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं और लड़कियों के अधिकार देने के मामले में दुनिया नाकाम साबित होती नजर आ रही है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व निकाय के अनुसार महिलाओं की बराबरी हेतू लैंगिक समानता हासिल करने का लक्ष्य पाना मुश्किल हो गया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक व व्यापारिक सत्ता केंद्रों में महिलाओं के प्रति भेदभाव के कारण यह लक्ष्य पाना अब असंभव हो गया है। दरअसल 2030 तक विश्व में लैंगिक समानता हासिल करने का लक्ष्य अब पूरी तरह पहुंच के बाहर हो चुका है। ‘द जेंडर स्नैपशॉट 2023’ शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक समानता को सक्रिय रूप से विरोध झेलना पड़ रहा है। रिपोर्ट जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव मारिया-फ्रैंचेस्का स्पैटोलिजानो ने कहा कि लैंगिक समानता धुंधला और लगातार दूर होता जा रहा है। युद्धग्रस्त और नाजुक इलाकों में रहने वाली महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले सालों में जो प्रगति हुई थी, वह भी अब खोती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने महिला अधिकारों के क्षेत्र में 17 लक्ष्य हासिल करने की बात कही थी।
200 रु. रोजाना पर जीने को मजबूर दिखी महिलाएं
महिलाओं के बीच अत्यधिक गरीबी दूर करने के लक्ष्य के बारे में संयुक्त राष्ट्र की जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में प्रत्येक 10 में से 1 महिला (करीब 10.3%) 2.15 डॉलर यानी 200 रुपये रोजाना पर जीने को मजबूर हैं। यदि यही चला तो 2030 तक 8% से अधिक महिलाएं इसी स्तर पर जी रही होंगी। इनमें से अधिकतर महिलाएं सब-सहारा अफ्रीका में रह रही हैं।
12.9 करोड़ लड़कियां हो सकती हैं स्कूलों से बाहर
संयुक्त राष्ट्र की जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक पूरी दुनिया में 12.9 करोड़ लड़कियों की स्कूलों से बाहर होने की आशंका हैं। प्रगति का यदि यही दर रहती है तो 2030 तक 11 करोड़ लड़कियां ऐसी होंगी जो स्कूल नहीं जा रही होंगी।