
Russia vs Ukraine: रूस की यूक्रेन के खिलाफ शुरू की गई जंग को आज छह महीने का वक्त पूरा हो गया है। यूक्रेन में रूस अपना दमखम दिखा रहा है लेकिन हैरानी बात तो यह है आज की तारीख में पुतिन की पकड़ ही रूस में कमजोर होती जा रही है। रूस देश में यूक्रेन के यूद्ध के बाद आर्थिक संकट के बादल छा गए है। यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच रूस को बड़ा झटका लगा है। यूक्रेन के हमले के बाद रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की बौछार होने लगी है। वहीं जब युद्ध शुरू हुआ था तब अमेरिका और पश्चिमी देशों के भी जानकारों को भी यही लगता था कि रूस की सेना के आगे यूक्रेन कुछ दिन भी नहीं टिक पाएगा।
रूस की करेंसी में भारी गिरावट
कई देशों के लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस की करेंसी रूबल में बड़ी गिरावट आई है। Dollar के मुकाबले रूबल में भारी गिरावट देखी गई और नए रिकॉर्ड लो स्तर पर आ गई है। अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा रूस पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों से रूबल में तेजी गिरावट आई है। दरअसल पश्चिमी देशों ने रूस की उसके विदेशी मुद्रा भंडार तक पहुंच को बाधित करने, मुख्य प्रौद्योगिकियों का आयात नियंत्रित करने और अन्य प्रतिबंधात्मक कदम उठाए हैं।
EU से रूसी नागरीकों को निवेश से मिलने वाली नागरिकता पर रोक
यूरोपियन सिटीजनशिप को लेकर रूस को बड़ा झटका लगा है। यूरोपियन यूनियन ने रूसी नागरिकों को निवेश से मिलने वाली यूरोपियन सिटीजनशिप पर रोक लगाई।
रूसी बैंकों को SWIFT बैेंकिंग सिस्टम से हटाया
यूक्रेन पर रूस के हमले से अमेरिका और यूरोप समेत पूरी दुनिया खफा है। रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया जा रहा है। रूस पर SWIFT इंटरनेशनल पेमेंट का प्रतिबंध लगाया गया। जापान-जर्मनी ने भी रूसी बैंकों को Swift से बाहर किया। जापान ने ‘स्विफ्ट’ से रूसी बैंकों को हटाने के निर्णय में अमेरिका और यूरोपीय देशों का साथ देने का फैसला लिया है। Germany ने तो शुरू में स्विफ्ट इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम से कई रूसी बैंकों बाहर कर दिया।
रूस को FIFA World Cup से निकाला गया
यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस को दुनिया से अलग-थलग करने की मुहिम चल पड़ी थी। विश्व में फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था FIFA और यूरोपियन फुटबॉल संघ (UEFA) ने रूस को बैन कर दिया है। इतना ही नहीं मैचों के दौरान रूसी राष्ट्रगान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
फिलहाल इस आर-पार की जंग में भले ही यूक्रेन को भारी नुकसान होता दिखायी दे रहा हो। मगर सच तो ये भी है कि यूक्रेन पर कब्जे के लिए रूस ने पूरी ताकत झोंक रखी थी। पानी की तरह रूस हथियारों और गोला-बारूद पर पैसा बहा रहा था। मगर किसे पता था कि 6 महीने बीत जाने के बाद भी पुतिन का प्रण पूरा नहीं होगा।