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तालिबान अगर अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करता है तो नहीं मिलेगी मान्यता- NATO

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नई दिल्ली: अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की ओर से लगातार बिगड़ते हालातों के बीच नेटो (NATO) (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन) के सेक्रटरी जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने शुक्रवार को बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि नेटो के सहयोगी देश अफ़ग़ानिस्तान में जारी संघर्ष का राजनीतिक समाधान चाहते हैं और लेकिन अगर तालिबान बलपूर्वक सत्ता में आता है, तो उसे मान्यता नहीं दी जाएगी।

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स्टोलटेनबर्ग ने एक बयान जारी कर कहा, “हम ज़मीनी स्तर पर अफ़ग़ानिस्तान में हो रही सभी घटनाओं का आकलन कर रहे हैं। इस स्थिति को लेकर हम अफ़ग़ान अधिकारियों और बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ लगातार संपर्क में हैं। नेटो के सहयोगी तालिबान की ओर से हो रहे हमलों के कारण बड़े स्तर पर हो रही हिंसा को लेकर चिंतित हैं, जिसमें नागरिकों पर हमले, हत्याएं और अन्य गंभीर मानवाधिकारों के हनन के मामलों से जुड़ी रिपोर्ट शामिल हैं।”

“तालिबान को यह बात समझने की जरूरत है कि अगर वो देश पर ज़बरदस्ती काबिज़ होना चाहते हैं, तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता नहीं दी जाएगी। हम संघर्ष के राजनीतिक समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

नेटो अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, तुर्की, स्पेन समेत तीस देशों का एक ग्रुप है। तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ाई में 2001 से अफ़ग़ानिस्तान में शुरू हुए अभियान में नेटो देश ही शामिल थे।

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