जाह्नवी की मौत पर भारतीय अमेरिकियों में दिखा आक्रोश, मामले में पुलिसकर्मी ने दी सफाई

जाह्नवी की मौत पर भारतीय अमेरिकियों में दिखा आक्रोश, मामले में पुलिसकर्मी ने दी सफाई
इस साल जनवरी में सिएटल (वाशिंगटन का एक प्रमुख शहर) में तेज गति से आ रही पुलिस की गश्ती कार की चपेट में आने से भारतीय छात्रा जाह्नवी कंडुला की मौत हो गई थी। यह मामला हाल ही में उस समय सामने आया, जब वहां के पुलिस विभाग ने एक फुटेज जारी की, जिसमें अधिकारी डेनियल ऑडरर को इस हादसे को हंसकर टालते हुए देखा गया था। हालांकि, अब इस मामले में पुलिस अधिकारी गिल्ड ने अपने साथी का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि मीडिया की ओर से जारी किए गए वीडियो मामले को साफ करने में नाकाम रहे हैं। इससे मामले की पूरी कहानी साफ नहीं हो सकी थी।
क्या है मामला ?
दरअसल, अमेरिका में मौजूद भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने उच्चतम स्तर पर इस मामले को उठाया था, जिसके बाद अमेरिकी सरकार हरकत में आई। यह घटना जनवरी की है, जहां अधिकारी केविन डेव द्वारा चलाए जा रहे पुलिस वाहन ने 24 वर्षीय भारतीय छात्रा को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई। अमेरिकी अखबार के अनुसार, अधिकारी ओवरडोज की रिपोर्ट मिलने के बाद घटनास्थल तक पहुंचने के लिए रास्ते में 119 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से गाड़ी चला रहा था।
वहीं सिएटल पुलिस द्वारा जारी किए गए बॉडीकैम फुटेज में देखा गया कि अधिकारी डेनियल ऑडरर ने इस हादसे को हंसकर टाल दिया। उन्होंने इस बात को भी मानने से इनकार कर दिया कि अधिकारी डेव कसूरवार है।
अगस्त में रखा था अपना पक्ष
दरअसल, ऑडरर ने तीन अगस्त को अपना पक्ष रखने के लिए पुलिस कार्यालय को एक पत्र लिखा था। इसी पत्र को गिल्ड ने जारी कर कहा कि ऑडरर ने अपने बयान में साफ बताया है कि उनका उद्देश्य सिर्फ वकीलों का मजाक उड़ाना था। गिल्ड ने कहा कि वीडियो में सिर्फ एक तरफ की बातचीत कैद हुई है। जबकि इस घटना के और भी कई पहलू हैं, जिन्हें अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है।
ऑडरर ने पुलिस जवाबदेही कार्यालय के निदेशक गीनो बेट्स को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैं लड़की की मौत की हंसी नहीं उड़ा रहा था, मैं उन वकीलों की हंसी उड़ा रहा था, जो ऐसी घटनाओं का मोलभाव करवाते हैं। उन्होंने पत्र में कहा कि मैंने ऐसी घटनाओं पर दो पक्षों के बीच मोलभाव करते हुए देखा है। मैं इस पर हंस रहा था। उन्होंने पत्र में कहा कि उस समय मेरा मानना था कि बातचीत निजी थी और रिकॉर्ड नहीं की जा रही थी। उन्होंने कहा कि यह बातचीत मेरे कर्तव्यों के अंतर्गत भी नहीं थी।