Chaitra Navratri के 5वें दिन कैसे करे मां स्कंदमाता की पूजा? जानें शुभ मुहूर्त

skandamata

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Chaitra Navratri :पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्कंदमाता माता पार्वती का उग्र रूप हैं। इस संबंध में एक कथा कही गई है। कि एक बार जब माता पार्वती क्रोधित होकर कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए आदिशक्ति के रूप में प्रकट हुईं थी। तो इंद्र भय से कांपने लगे। इंद्र अपनी जान बचाने के लिए देवी से क्षमा याचना करने लगे। चूंकि कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है।  इसलिए सभी देवी-देवताओं ने मां दुर्गा के रूप का उत्सव मनाने के लिए उन्हें स्कंदमाता कहना शुरू कर दिया और उनकी स्तुति करने लगे। तब से, माँ दुर्गा के पाँचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाने लगा, और उन्हें पाँचवीं अधिक्षत्री के रूप में पूजा जाने लगा।

पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में स्कंदमाता की पूजा करने से अधिक शुभ फल मिलते हैं। इसके लिए आप सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद स्कंदमाता की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उन्हें फूल और भोग आदि अर्पित करें। स्कंदमाता को केले का प्रसाद चढ़ाया जाता है। अगर केला न हो तो बताशे का प्रसाद भी स्कंदमाता को अर्पित कर सकते हैं।

शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक है।

देवी स्कंदमाता के लिए भोग

भक्त स्कंदमाता को प्रसाद के रूप में केले चढ़ा सकते हैं। देवी स्कंदमाता का प्रिय रंग

हरा रंग मां स्कंदमत का प्रिय रंग है, इसलिए भक्त सुख-समृद्धि की देवी को प्रसन्न करने के लिए हरा रंग धारण कर सकते हैं।

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