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प्रधानमंत्री सीरीज: एचडी देवगौड़ा 46 सीटें होने के बावजूद कैसे बने PM, जानें

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एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री बने 10 महीने हो चुके थे। 11 अप्रैल 1997 को देवगौड़ा सरकार को विश्वास मत साबित करना था, लेकिन वो इसे साबित नहीं कर सके।

एचडी देवगौड़ा
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एचडी देवगौड़ा का राजनीतिक अनुभव और निचले तबके के लोगों तक उनकी पहुंच ने राज्य की समस्याओं से निपटने में मदद की। सामाजिक-आर्थिक विकास और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पुरजोर समर्थक देने वाले देवेगौड़ा का जन्म 18 मई 1933 को कर्नाटक के हासन जिले के होलेनारासिपुरा तालुक के हरदनहल्ली गांव में हुआ था।

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एचडी देवगौड़ा ने हमेशा एक ऐसे समाज का सपना देखा जहाँ असमानताओं के लिए कोई जगह न हो। 28 साल की उम्र में गौड़ा निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े और 1962 में वे कर्नाटक विधानसभा के सदस्य बन गए। विधानसभा में वक्ता के रूप में उन्होंने सभी को प्रभावित किया। होलेनारसिपुर निर्वाचन क्षेत्र से वे लगातार चौथी (1967-1971), पांचवी (1972-1977) और छठी (1978-1983) विधानसभाओं के लिए चुने गए।

एचडी देवगौड़ा का राजनीतिक सफर

स्वतंत्रता और समानता के समर्थक गौड़ा को 1975-76 में केंद्र सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ा एवं उन्हें आपातकाल के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर हासन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 1991 में वो सांसद के रूप में चुने गए। एचडी देवगौड़ा राज्य स्तर पर दो बार जनता पार्टी के अध्यक्ष बने।1994 में राज्य के सूत्राधार थे। 1994 में वो जनता दल के अध्यक्ष बने। जनता दल के नेता चुने जाने के बाद वे 11 दिसंबर 1994 को कर्नाटक के 14 वें मुख्यमंत्री बने।

30 मई 1996 को देव गौड़ा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। सबसे दिलचस्प बात तो ये थी कि 1996 के चुनाव में सिर्फ 46 सीटें लाने वाली पार्टी जनता दल के नेता देवगौड़ा को पीएम पद मिला।

12 महीने के अंदर चार PM बदले

1996 में देश में लोकसभा चुनाव हुए। 16 मई 1996 तक पीवी नरसिम्हा राव देश के PM रहे। फिर, 16 मई 1997 आने तक देश ने चार प्रधानमंत्री देख लिए थे।  नरसिम्हा राव के बाद बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने। जब वो लोकसभा में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। महज 13 दिन में उवकी सरकार गिर गई थी।  उनके इस्तीफे के तीन दिन बाद एचडी देवगौड़ा ने शपथ शपथ ली। देवगौड़ा के मुख्यमंत्री से पीएम बनने के सफर की बड़ी दिलचस्प कहानी है आपको बताते हैं।

दरअसल 1996 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। बीजेपी 161 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस 141 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी और जनता दल को 46 सीटें मिली थीं। लेकिन बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया।

13 दलों के समर्थन से बने थे गौड़ा पीएम

16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन उनकी सरकार लोकसभा में बहुमत हासिल नहीं कर पाई और महज 13 दिनों में सरकार गिर गई। 31 मई 1996 को अटल जी ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी जिसके पास 141 सीटें थी। लेकिन सरकार बनाने का दावा नहीं किया।

इसके बाद जनता दल, समाजवादी पार्टी और डीएमके जैसी करीब 13 पार्टियों के गठबंधन यूनाइटेड फ्रंट ने सरकार बनाने की सोची। जिसे कांग्रेस ने समर्थन दिया। इसके बाद शुरु हुई कि आखिर प्रधानमंत्री बनेगा कौन? जिसके बाद वीपी सिंह, ज्योति बसु, चंद्रबाबू नायडू, जीके मूपनार के नामों की चर्चा थी। इसके पीएम पद को लेकर तमिलनाडु भवन में बैठक हुई। वहां पर किसी ने देवगौड़ा का नाम लिया। तब मुलायम सिंह और लालू प्रसाद यादव सहित बाकी सभी लोगों ने उनके नाम पर सहमति जताई।

इस तरह एचडी देवगौड़ा को यूनाइटेड फ्रंट ने अपना नेता मान लिया और कांग्रेस ने भी समर्थन कर दिया। एचडी देवगौड़ा 1 जून 1996 को भारत के 11वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। एचडी देवगौड़ा को कर्नाटक के दिग्गज नेताओं में से एक माना जाता था। जिस समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया उस वक्त वो कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे।

11 महीनें में ही गिर गई थी देवगौड़ा की सरकार

देवगौड़ा को प्रधानमंत्री बने 10 महीने हो चुके थे। 11 अप्रैल 1997 को देवगौड़ा सरकार को विश्वास मत साबित करना था, लेकिन वो इसे साबित नहीं कर सके। दरअसल कांग्रेस ने देवगौड़ा से अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

21 अप्रैल 1997 को जनता दल के ही इंद्र कुमार गुजराल ने देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, उन्हें भी छह महीने के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा। कहते है कांग्रेस का इतिहास रहा है कि अगर वो किसी दल को समर्थन देती है तो ज्यादा दिन तक सरकार नहीं चलने  देती।

खैर देवगौड़ा को इस बात का आज भी अफसोस है कि वो ना मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा कर पाए और ना ही प्रधानमंत्री के तौर पर। फिलहाल देवगौड़ा अभी भी राजनीति में सक्रीय हैं और एचडी देवगौड़ा जनता दल सेक्युलर के अध्यक्ष हैं।

 

 

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