Advertisement

प्रधानमंत्री सीरीज: आखिर क्यों इंदिरा से खफा थे कार्यवाहक PM नंदा?

Share

गुलजारीलाल नंदा ने इंदिरा से साफ कहा था- आपके पिता ने इस देश में लोकतंत्र को सींचकर बड़ा किया और आपने इमरजेंसी लगा दी।

कार्यवाहक PM नंदा
Share
Advertisement

यहां तो दाल में नमक के बराबर भ्रष्टाचार हो तब ना, यहां तो पूरी दाल भ्रष्टाचार से भरी हुई है- गुलजारी लाल नंदा

Advertisement

आज यानी 2022 में देश की राजनीतिक कार्यपालिका और प्रशासनिक कार्यपालिका में व्यापत भ्रष्टाचार का जो स्तर है, उसे देखते हुए गुलजारी लाल नंदा का जीवन साफ हवा के झोंके जैसा लगता है। प्रसिद्ध गांधीवादी, अर्थशास्त्री और मजदूरो के हित चिंतक गुलजारी लाल नंदा दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहें। पहली बार, 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद और फिर दो साल बाद, लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद। 4 जुलाई 1898 को अविभाजित पंजाब के सियालकोट में जन्में कार्यवाहक PM नंदा एक अर्थशास्त्री और राजनेता थे।

गुलजारी लाल नंदा की सादगी की कहानी

नंदा ने लाहौर, आगरा और इलाहाबाद में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। जिसके बाद 1920 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक रिसर्च स्कॉलर के रूप में काम किया। फिर वे बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी। नंदा श्रम कल्याण के कार्यों में शामिल थे और ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम हिस्सा भी रहे। वे 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल हुए और कई मौकों पर जेल भी गए।

साजिश का चक्रव्यूह में कैसे फंसे गुलजारी लाल नंदा

1946 से 1950 तक गुलजारी लाल नंदा बम्बई सरकार में मंत्री थे। उन्होंने मई 1947 में भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1961 में वे केंद्र में योजना मंत्री बने। 1957 में श्रम मंत्री और 1963 में गृह मंत्री बने 1977 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कार्यवाहक PM नंदा ने सन 1978 में बताया था कि उन्हें क्यों गृह मंत्री पद से हटा दिया गया। कार्यवाहक PM नंदा जी का कहना था कि उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेता को भ्रष्टाचार में पकड़ कर जेल भेज दिया गया था। इस कदम से कांग्रेस के लोग खासा नाजार हुए और षडयंत्र करके उनको गृह मंत्रालय से हटवा दिया

साधुओं की भीड़ क्यों पहुंची सांसद?

दरअसल, पचास के दशक के बहुत प्रसिद्ध संत स्वामी करपात्री जी महाराज लगातार गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून की मांग कर रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार इस तरह का कोई कानून लाने पर विचार नहीं कर रही थी। इससे संतों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा था। 7 नवंबर 1966 की बात है। हजारों की तादाद में गौरक्षक, साधु व अन्य धार्मिक नेता गौरक्षा की मांग करते हुए संसद की ओर मार्च कर रहे थे। करनाल (पंजाब) से भारतीय जनसंघ के सांसद स्वामी रामेश्वरानंद के नेतृत्व में यह पार्लियामेंट भवन की ओर बढ़ने लगा। उस समय सुरक्षा बल की कमी थी, इन सब को देखते हुए संसद भवन का मेन गेट बंद कर दिया गया। इससे भीड़ औक ज्यादा भड़क गई और पार्लियामेंट स्ट्रीट पर मौजूद सरकारी भवनों में तोड़-फोड़ मचाने लगी।स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसमें आठ साधुओं की मौत हो गई। इस फायरिंग की देशभर में व्यापक निंदा होने लगी। जिसके बाद तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वरिष्ठ राजनीतिज्ञ व देश के गृहमंत्री गुलजारीलाल नंदा को पद से हटा दिया।

आपातकाल के बाद चुनाव लड़ने से किया इंकार

दरअसल जून, 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के देश में इमरजेंसी लगाने के फैसले से नाराज हो गए। तब वो रेलमंत्री थे। आपातकाल के बाद चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। गुलजारीलाल नंदा ने इंदिरा से साफ कहा था- आपके पिता ने इस देश में लोकतंत्र को सींचकर बड़ा किया और आपने इमरजेंसी लगा दी। जब 1977 में लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो वे कांग्रेस के पास टिकट मांगने नहीं गए।  उन्हें मनाने के लिए इंदिरा, राजा कर्णसिंह समेत कई हस्तियां आईं, लेकिन वे फैसले पर अटल रहे। इसके बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा।

बता दें गुजारीलाल नंदा देश के ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री थे कि अपने आखिरी दिनों में  उनके पास ना तो अपना घर था और न ही इतने पैसे थे कि वो जिस मकान में रह रहे थे उसका किराया चुका सकें। जिसके पास उनकी बेटी उन्हें अपने साथ अहमदाबाद ले गईं। नंदा जी को 1991 में उन्हें पद्मविभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 15 जनवरी 1998 को 100 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

यह भी पढ़ें: https://hindikhabar.com/big-news/har-ghar-tiraindependence-day-of-india-75th-independence-day-of-india/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *