World Health Day 2023: कोरोना के बाद भारतीयों में तेजी से बढ़ रहीं ये बीमारियां

हर साल सात अप्रैल को पूरी दुनिया में वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को स्वास्थ और मेडिकल क्षेत्र में हो रही नई-नई प्रगति के प्रति जागरूक करना है। इस साल वर्ल्ड हेल्थ डे ‘Health for All’ थीम पर मनाया जा रहा है. भारत में पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना के मामले तेजी बढ़ रहे हैं हालांकि अब इस वायरस को उतना खतरनाक नहीं माना जाता जैसे पहले माना जाता था लेकिन कोरोना से उबर चुके लोगों में लॉन्ग कोविड सिम्पटम्स और कई बीमारियां नई चुनौती के रूप में सामने आई हैं.
लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक कोरोना से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर कह पाना मुश्किल है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले तीन सालों में इस महामारी ने ना केवल लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है.
कई रिसर्च में वायरस से हृदय, फेफड़े, गुर्दे और शरीर के अन्य अंगों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी जिक्र किया गया है. यह महामारी कई मौजूदा बीमारियों के निदान और इलाज में रुकावट भी बनी है. गतिहीन जीवनशैली कोविड-19 महामारी के एक और दुष्प्रभाव के रूप में हमारे सामने आई जिसके लोग आदी हो गए हैं. कई लोग अभी भी इसके प्रभाव से जूझ रहे हैं जो कई और दुष्प्रभावों को दावत देता है।
क्या होती हैं क्रॉनिक डिसीस?
क्रॉनिक डिसीस का मतलब ऐसी बीमारियां जो कम से कम एक साल या उससे अधिक समय तक रहती हैं और जिनके लिए लगातार इलाज की जरूरत होती है। डायबिटीड, कैंसर, हृदय रोग और किडनी डिसीस जैसी क्रॉनिक बीमारियां पूरी दुनिया में लोगों की मौतों का प्रमुख कारण है।
- मानसिक बीमारियां
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजीव गुप्ता कहते हैं, ”चिंता, अवसाद, याददाश्त और कॉन्सनट्रेशन से जुड़ी समस्याएं कोरोना के बाद कॉमन हुईं हैं और क्वॉलिटी ऑफ लाइफ खराब हुई है. इसमें तनाव, अलग-थलग रहना, करीबियों को खो देना और आर्थिक संकट ने इन बीमारियों को बढ़ाने का काम किया है।
2.कैंसर
डॉक्टर प्रजापति ने कहा, ”कोविड-19 पैथोफिज़ियोलॉजी में शामिल कई प्रोटीनों को लक्षित करता है इसलिए संक्रमण से कई तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है. एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कैसे कोविड-19 वायरस पी53 और इससे संबंधित मार्गों के साथ इंटरैक्ट करता है जिससे संभावित रूप से डीएनए और सेल ऑक्सीडेटिव क्षति हो सकती है.
सांस से जुड़ीं बीमारियां
कोरोना लंबे समय तक लगातार खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न जैसी परेशानियों की भी वजह है. ये कंडीशन्स अस्थमा या क्रॉनिक ब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पहले से मौजूद सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए परेशानी बन सकती हैं. कोविड-19 मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है।