Guru Govind Singh Jayanti: प्रकाश पर्व के रूप में धूमधाम से मनाई जा रही है गुरु गोविंद सिंह की जयंती

Guru Govind Singh Jayanti
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Guru Govind Singh Jayanti: 9 जनवरी 2022 को गुरु गोविंद सिंह की जयंती (Guru Govind Singh Jayanti) मनाई जाती है। गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें और आखिरी गुरु थे। इसके बाद सिख धर्म में गुरु परंपरा का अंत हो गया था। सिख समुदाय के लोग इसे गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोविंद सिंह जी का जन्म पटना साहिब में हुआ था। पटना साहिब में हर साल सिख समुदाय के लोग जाते हैं और उनका दर्शन करते हैं। प्रकाश पर्व के अवसर पर पटना साहिब में चारों ओर गुरु के नाम ही सुनाई देते हैं। इस दिन लंगर का आयोजन किया जाता है। जगह-जगह पर गुरु गोविंद सिंह के जीवन से संबंधित कई प्रकार के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं।

सरदार जितेंद्र सिंह (HOD GFX, Hindi Khabar)

गुरु गोविंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की भी स्थापना की। सिखों को जीवन जीने के लिए पांच ककार केश, कड़ा, कृपाण, कच्छा और कंघा धारण करने के लिए कहा था। गुरु गोविंद सिंह ने अपना पूरा जीवन सिर्फ लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।

नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक वर्ष पौष माह की सप्तमी तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, 22 दिसंबर 1666 में गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था।

गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु थे। इन्होंने ही बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी, ‘वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतह’ जैसा नारा दिया था। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे धर्म की रक्षा करना और मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाना था।

धूमधाम से मनाई जा रही है गुरु गोविंद सिंह की जयंती

खालसा पंथ में ही गुरु ने जीवन के पांच सिद्धांत बताए थे। जिसे पंच ककार के नाम से जाना जाता है। ये पांच ककार को हर खालसा सिख को पालन करना अनिवार्य है। इन पांच ककार हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा।

गुरु गोबिंद सिंह एक महान योद्धा भी थे। इसके साथ-साथ वे कई भाषाओं के जानकार और विद्वान महापुरुष थे। उन्हें पंजाबी के अलावा फारसी, अरबी, संस्कृत और उर्दू समेत कई भाषाओं की अच्छी जानकारी थी।

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