कैसे करें गोवर्धन पूजा, कब है शुभ मुहूर्त और क्या है मान्यता ?, जानें…

Govardhan Puja : हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटना के स्मरण में मनाई जाती है। इस पूजा में गोबर का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गोबर पवित्र होता है और इसका उपयोग पूजा, घर की सफाई, और देवताओं को अर्पित करने में किया जाता है।
भगवान कृष्ण ने जब गोवर्धन पर्वत को उठाया, तब उन्होंने इसे गोबर के रूप में भी देखा था, इसीलिए गोबर का उपयोग अनिवार्य माना जाता है। गोबर को प्रकृति का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, और इसके माध्यम से प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
गोवर्धन पूजा का समय कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को होगी। इस दिन गोवर्धन पर्वत की आकृति गाय के गोबर से बनाई जाती है और उसके पास भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखी जाती है। मान्यता है कि गोबर से बना पर्वत घर की समस्याओं का समाधान करता है और सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है।
गोवर्धन पूजा की परंपरा भगवान कृष्ण की एक कथा से जुड़ी है। जब भगवान इंद्र ने ब्रजवासियों पर बारिश की, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर उन्हें बचाया। इसी घटना की स्मृति में गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है।
इस दिन लोग गोबर से पर्वत बनाकर उसकी पूजा करते हैं, दीपक जलाते हैं, और गोबर से कलाकृतियां बनाते हैं। गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक बल्कि कृषि और प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर भी है। इसकी सात परिक्रमा करनी चाहिए. परिक्रमा करते हुए खील बताशे अर्पित करने चाहिए. इस बार दो नवंबर को शाम 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 45 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है.
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