
बुधवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में केंद्र की नीतियों के खिलाफ देशभर के किसानों और मजदूरों ने धरना दिया। अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) और ऑल इंडिया एग्रीकल्चर वर्कर्स यूनियन (AIAWU) ने संयुक्त रूप से मजदूर-किसान संघर्ष रैली का आयोजन किया है।
इस दौरान कई राज्यों से आशा, आंगनवाड़ी और मनरेगा कार्यकर्ताओं के साथ किसान और मजदूर विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनने के लिए दिल्ली पहुंचे। इस बीच AIAWU ने कहा, “हमारा सवाल केंद्र सरकार से है कि दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि वो नौकरियां कहां गईं और कितने लोगों को नौकरी दी गई। आज देश में दिहाड़ी मजदूरों का भी एक बड़ा मुद्दा है।”
साथ ही इस बीच CITU ने ट्वीट किया कि, “आदिवासियों के वन और भूमि अधिकार छीने जा रहे हैं और कॉरपोरेट्स को दिए जा रहे हैं। किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। जबकि मनरेगा के तहत काम की मांग लगातार बढ़ रही थी, सरकार ने इसके लिए आवंटन में भारी कमी की है। पिछले दो वर्षों में 38,000 करोड़ रुपये।”
पश्चिम बंगाल से आए कर्मचारियों ने अपनी मांगों में कहा कि सरकारी कर्मचारियों पर हो रहे तानाशाही हमलों को रोका जाना चाहिए। असम और पंजाब की आशा कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने राज्यों की समस्याओं पर चर्चा की।
रामलीला मैदान और उसके आसपास मध्य दिल्ली की सड़कें प्रदर्शनकारियों से भरी हुई थीं। सभी के हाथों में झंडे, बैनर और पोस्टर थे। इस रैली को देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कई रूटों पर ट्रैफिक डायवर्ट किया था। साथ ही रामलीला मैदान के आसपास बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल, दिल्ली पुलिस के जवान और यातायात पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।