Extra Marital Affair: देर रात घर लौटने पर पत्नी को शक, पति ने लगाई तलाक की अर्जी

Extra Marital Affair: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हाल ही में 16 अक्टूबर को टिप्पणी की है कि यदि कोई पति बार-बार देर रात घर आता है और पत्नी यह संदेह व्यक्त करती है कि उसका कोई अफेयर चल रहा है, तो इसे क्रूरता नहीं कहा जा सकता है। न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में पत्नी द्वारा ऐसा आचरण ‘सामान्य मानवीय व्यवहार’ है। कोर्ट ने कहा कि, “यह एक सामान्य मानवीय व्यवहार है और स्पष्ट है कि जब पति बार-बार देर रात आता है, तो पत्नी के मन में कुछ संदेह आ सकता है और यदि इस तरह के संदेह को हवा दी जाती है, तो इसे क्रूरता नहीं कहा जा सकता है,”।
Extra Marital Affair: एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी
कोर्ट ने एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि पति अक्सर देर रात को घर लौटता था। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि कई बार तो वह घर ही नहीं आता था। पति ने दलील दी कि वह राजनीतिक गतिविधियों में शामिल है जिसकी वजह से उसे घर पहुंचने में देर हो गई। पति का कहना था कि उसकी पत्नी उसके चरित्र पर संदेह कर रही है और क्रूरता बरत रही है।
फैमिली कोर्ट ने स्वीकार कर ली थी तलाक की याचिका
इस मामले में एक पारिवारिक अदालत ने पहले पति की तलाक की याचिका को स्वीकार कर लिया था, जिसे बाद में पत्नी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि पति का आचरण अलग होता या ठीक से समझाया जाता तो पत्नी को संदेह नहीं होता। कोर्ट ने टिप्पणी की, “इस तथ्य के कारण कि गतिविधियों से संदेह पैदा हुआ था, यह नहीं कहा जा सकता है कि पति पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत थे, लेकिन तथ्यों से पता चलेगा कि आरोप पति के असामान्य अस्पष्ट व्यवहार के कारण लगाए गए थे।”
पति-पत्नी को होना चाहिए एक-दूसरे पर भरोसा
बेंच ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि पति ने अपनी पत्नी पर इस आधार पर संदेह जताया था कि वह अपने भाई के दोस्तों से बात करती थी। कोर्ट ने कहा कि दोनों पति-पत्नी को एक-दूसरे पर भरोसा रखना चाहिए। न्यायालय ने टिप्पणी की, “पति और पत्नी के बीच एक रिश्ते में, एक-दूसरे पर विश्वास का न्यूनतम मानक बनाए रखा जाना चाहिए और यह उम्मीद नहीं की जाती है कि पत्नी पति की इच्छा और इच्छा के अनुसार बाहरी लोगों से बात करेगी, जब तक कि कुछ अन्यथा सामने न आए।
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