EWS QUOTA: SC के फैसले पर 50 प्रतिशत लिमिट का क्या होगा ? सवाल छूटा

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EWS आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इस पर मुहर लगा दी हो लेकिन इसके बाद भी कई ऐसे सवाल खड़े हो चुकें हैं जो कि आगे के लिए एक चर्चा का विषय बनकर उभर सकते हैं। जिसमें में से सबसे पहला सवाल तो ये खड़ा होता है कि क्या आने वाले समय में आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच की ओर से ही तय 50 फीसदी लिमिट खत्म होगी? EWS कोटे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल पर खुलकर कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन बहुमत की जो राय थी। उससे ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सवाल उठाया था कि आरक्षण की 50 फीसदी सीमा पर भी विचार होना चाहिए। इस पर अदालत ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन वकीलों की ओर से जरूर इस पर तर्क दिए गए।

वहीं बहुमत वाले जजों की ओर से फैसला लिखने वाले जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि अदालत ने पहले जो 50 फीसदी की सीमा तय की थी, वह ऐसी नहीं है कि उसमें बदलाव न किया जा सके। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी की लिमिट संविधा का जरूरी प्रावधान नहीं है। वहीं अल्पसंख्यक मत वाले जजों ने भी 50 फीसदी की लिमिट पर कुछ नहीं कहा। हालांकि जस्टिस रविंद्र भट की ओर से यह जरूर साफ किया गया कि तमिलनाडु में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को लेकर एक अलग बेंच में सुनवाई चल रही है।

इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था

गौरतलब है कि इंदिरा साहनी केस में 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा था कि आरक्षण वह व्यवस्था है, जिसके तहत किसी वर्ग के संरक्षण और उसे अवसर देने के लिए प्रावाधन किए गए हैं। इसके तहत माइनॉरिटी सीटें ही आ सकती हैं। बता दें कि ईडब्ल्यूएस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही आरक्षण की लिमिट पर बहस तेज है। आरक्षण के कई पक्षकारों का कहना है कि इस कोटे को वैधता प्रदान करके सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की लिमिट खत्म होने का रास्ता साफ कर दिया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी मांग की है कि आरक्षण की 50 फीसदी की लिमिट को खत्म किया जाना चाहिए।

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