Ghoomer Movie Review: अभिषेक-सैयामी की ‘घूमर’ देती है हार न मानने की सीख, R. Balki की दिल छूने वाली फिल्म, पढ़ें रिव्यू
“ज़िंदगी जब मुंह पर दरवाज़ा बंद करती है, तब उसे खोलना नहीं, तोड़ना पड़ता है..” पूर्व क्रिकेटर पदम सिंह सोढ़ी जब सामने खड़ी अनीना से यह कहता है, तो आप कहीं ना कहीं खुद में वो भाव महसूस करते हैं, जो अनीना की आंखों में दिखता है। इस फिल्म को खास बनाने में एक अहम हिस्सेदारी इसके संवाद की भी है, जिसे राहुल सेनगुप्ता और ऋषि विरमानी के साथ मिलकर आर बाल्की ने लिखा है।
अभिषेक बच्चन और सैयामी खेर स्टारर फिल्म ‘घूमर’ का 18 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है क्या सच में एक हाथ से देश के लिए कोई क्रिकेट खेल सकता है. इस उत्सुकता को लेकर ‘घूमर’ देखने जाने वाले बिलकुल भी निराश नहीं होंगे. एक अक्खड़, शराबी क्रिकेटर और एक्सीडेंट में हाथ खो देने वाली महिला क्रिकेटर की इस कहानी की शुरुआत से आखिर तक अंदाजा लगाना हर किसी के लिए आसान है।
घूमर, दो बार ओलम्पिक गोल्ड मेडल जीतने वाले एक एथलीट की शानदार उपलब्धि से प्रेरित फिल्म है,यह बॉयोपिक नहीं है और ना ही पूरी तरह से एक स्पोर्ट्स ड्रामा है, यह जिंदगी की रेस में हार नहीं मानने की एक उम्दा कहानी है।
कुछ यूं है फिल्म घूमर की कहानी
अनीना (सैयामी खेर) एक उभरती हुई बल्लेबाज है, जो किसी दिन भारत के लिए खेलना चाहती है. उसका चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हो जाता है, लेकिन एक हादसे में अनीना अपना दाहिना हाथ गंवा देती है. ऐसे मुश्किल वक्त में उसे अपना ख्वाब बिखरता नज़र आने लगता है. निराशा में वो खुद को ख़त्म कर लेना चाहती है।
लाइफ के इस मोड़ पर उसका रास्ता पूर्व क्रिकेटर पदम सिंह सोढ़ी उर्फ पैडी सर (अभिषेक बच्चन) से जा मिलता है. खुद अवसाद और नशे की लत से जूझते पैडी इस सफर में सामाजिक चुनौतियों और व्यक्तिगत संघर्ष को दोनों की मजबूती बना लेते हैं. नतीजा कभी स्टार बल्लेबाज रही अनीना बाएं हाथ के स्पिनर में ढल जाती है।
पैडी सर एक सीन में कहते हैं- “लूजर क्या महसूस करता है i know, I also want to know विनर्स क्या महसूस करते हैं..” क्या अपना राइट हैंड खोने के बाद अनीना चुनौतियों को पार करते हुए अपना ख्वाब पूरा कर पाएगी? इसी के इर्द गिर्द घूमती है कहानी फ़िल्म का कई डायलॉग सीधा आपके दिल पर चोट करता है और कहीं न कहीं इससे आप कनेक्ट कर जाते हैं, फ़िल्म आपको भावनाओं की रोलर कोस्टर राइड पर ले जाती है।
फिल्म की कहानी के बाद एक्टिंग पर बात करते है
अनीना के कोच के किरदार में अभिषेक बच्चन ने बेहतरीन काम किया है, वह पहले फ्रेम से लेकर आखिरी फ्रेम तक अपने किरदार के प्रति ऑनेस्ट दिखे, अभिषेक पूरी फिल्म में हर भाव को बहुत ही सूक्ष्मता के साथ दिखाते हैं, जो इस तरह की कहानी में बहुत प्रभावी साबित होती है।
एक असाधारण प्रदर्शन वाली महत्वाकांक्षी लड़की से एक असहाय के रूप में और फिर मजबुत संकल्प से अपनी ख्वाबों को जीतने का प्रयास करने के सफर को अभिनेत्री ने बखूबी दिखाया है. अनीना के ब्वॉयफ्रेंड के किरदार में अंगद बेदी भी अपना किरदार अच्छा निभाते हैं।
वहीं, अनीना की दादी की भूमिका में शबाना आजमी दिल जीत लेती हैं. उनके अभिनय में इतनी सहजता है कि आप यूं ही किरदार और कहानी से जुड़ा महसूस करने लग जाते हैं. इनके अलावा, अमिताभ बच्चन का शानदार कैमियो ध्यान आकर्षित करता है. स्क्रीन पर केवल कुछ मिनटों के लिए उनकी उपस्थिति छाप छोड़ती है।
निर्देशन
स्पोर्ट्स फिल्मों के अपने चाहने वाले हैं और जब फिल्म क्रिकेट के बारे में हो तो लोगों की दिलचस्पी और भी बढ़ जाती है. लगान, इकबाल, 83, दिल बोले हड़प्पा जैसी कई क्रिकेट पर आधारित फिल्मों ने ऑडियंस का खूब मनोरंजन किया है, हालांकि घूमर इन सभी फिल्मों से अलग है।
आर बाल्की की खासियत है सीधी सादी कहानी में इतने परत जोड़े हैं कि आप लगातार फिल्म से जुड़े रहते हैं. हालांकि, फिल्म का सेकेंड हॉफ काफी खिंचा हुआ और दोहराता सा लगता है, अनीना की यात्रा आपको भावुक करती है।
मानवीय स्तर पर आप उससे जुड़ जाते हैं और उसके साथ प्रेरित होते हैं- यही घूमर की ताकत है। फिल्म के संवाद इसके सकारात्मक पहलू हैं. कहानी कुछ जगहों पर अति नाटकीय हो जाती है, जो आपका ध्यान भटकाती है. खासकर क्लाईमैक्स में दिखाया गया मैच रोमांचक तरीके से शुरु होता है।
तकनीक
किसी भी स्पोर्ट्स फिल्म के लिए कैमरा वर्क और एडिटिंग उतना ही जरुरी है, जितना मैलोड्रामैटिक फिल्मों के लिए हीरोइन के आंसू. इस फिल्म के सिनेमेटोग्राफर है विशाल सिन्हा, जिन्होंने आर बाल्की के साथ उनकी फिल्म चुप में काम किया था. तो निपुण अशोक गुप्ता फिल्म के एडिटर हैं. इन दोनों की ये पहली स्पोर्ट्स फिल्म है लेकिन दोनों ने आर बाल्की के विश्वास को सही साबित किया है. कैमरा एंगल, वीडियो के बेहतरीन शॉट्स-मूवमेंट फिल्म को और भी मजेदार बनाती है अमित त्रिवेदी का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावी है. इसके अलावा, प्रोडक्शन डिजाइनर संदीप शरद रावडे का काम बेहतरीन है।
रेटिंग
हिन्दी ख़बर की ओर से ‘घूमर’ को 4 स्टार देते है घूमर हमें ये विश्वास दिलाती है कि सपने पूरे हो सकते हैं. आप में जिद हो, हिम्मत हो तो दुनिया की कोई ताकत आपके ख्वाबों को पूरा होने से नहीं रोक सकती. बड़े परदे पर अभिषेक बच्चन, सैयामी खेर की इस फिल्म को देखना अच्छा अनुभव होगा. आपको ऐसी फिल्म थिएटर में बिलकुल देखनी चाहिए। कहना गलत नहीं होगा कि अभिषेक बच्चन, सैयामी खेर के साथ आर बाल्की ने अच्छी पारी खेली है।