
दीपक यादव पेशे से इलेक्ट्रीशियन हैं, जब दिन भर काम करके थक जाते हैं तब कहीं परिवार का खर्च चलाने लायक कमा पाते हैं। दीपक का सपना बिजली मैकेनिक बनना नहीं था, लेकिन जैसा कि बहुत लोगों के साथ होता है परिस्थितियां कुछ का कुछ बना देती हैं।
अगर ऐसा न होता तो दीपक आज राजनांदगांव के भोड़िया गाँव ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रौशन कर रहे होते। शरीर से स्वस्थ और हट्टे-कट्टे दीपक यादव ने 90 के दशक में बॉडी बिल्डिंग में हाथ आज़माया। आस-पास के गाँवों सहित जिले भर में प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए उन्होंने कई मेडल और पुरुस्कार जीते। लेकिन उनका सपना बस इतना भर पा लेना नहीं था। वह देश के लिए मेडल जीतना चाहते थे।
वह लगातार मेहनत करते रहे और इस दौरान कुछ छोटे-बड़े मेडल और अवार्ड्स भी उनकी झोली में आए। वह इससे आगे जाना चाहते थे और देश का नाम रौशन करना चाहते थे लेकिन आर्थिक स्थिति उनके सपनों के बीच में आ गयी और वह चाहकर भी बॉडी बिल्डिंग में आगे नहीं बढ़ सके।
जब आर्थिक परेशानियों ने दीपक को सपने से दूर किया तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और बेटी ज्ञानेश्वरी यादव को बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयार करना शुरू कर दिया। उसे गाँव से 8 किलोमीटर दूर कराजनांदगांव स्थित जय भवानी व्यायामशाला में कोच अजय लोहार के दिशा निर्देशन में प्रशिक्षण करवाना शुरू किया। भोड़िया से हर रोज़ साइकिल पर बेटी ज्ञानेश्वरी को बैठाकर राजनांदगांव स्थित व्यायामशाला लेकर आना और प्रैक्टिस के बाद वापस साइकिल से लेकर जाने को मानो दीपक ने दिनचर्या ही बना ली।
आखिर आंखों में जो सपना पल रहा था उसे भी तो पूरा करना था। यही नहीं, दीपक बेटी संग खुद भी प्रैक्टिस करते और उसे वेट लिफ्टिंग के लिए तैयार करने में पसीना बहाते। इस दौरान वह बेटी के खानपान और डाइट का भी पूरा ध्यान रखते और पैसे की कमी होने के बावजूद बेटी को कोई कमी नहीं आने देते। आखिर उन्होंने जो सपना देखा था वह अब पूरा जो होने वाला था.
पिछले साल ग्रीस के हेराक्लिओन में आयोजित वर्ल्ड जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में ज्ञानेश्वरी यादव ने देश का नाम रौशन करते हुए 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता।
2 मई, 2022 की रात को जब ज्ञानेश्वरी ग्रीस में चल रही प्रतिस्पर्धा में वजन उठाने की तैयारी कर रही थीं, तब पिता दीपक सहित सारा परिवार टीवी के सामने बैठा बेटी के जीतने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था । दीपक बताते हैं, “उस रात हम सब उसे देखने को बेचैन थे। मुझे भरोसा था कि वह मेडल ज़रूर जीतेगी। वह स्कूल के दिनों से ही ढेर सारे मेडल जीतते आई है।”
आज से भारत के ग्रेटर नॉएडा में शुरू हुए कॉमनवेल्थ वेटलिफ़्टिंग चैंपियनशिप 2023 के पहले दिन भी ज्ञानेश्वरी ने एक नहीं, बल्कि दो गोल्ड मेडल जीत लिए हैं! आशा करते हैं कि वह आगे भी इसी तरह जीत की राह पर चलती रहें और पिता की मेहनत को साकार करती रहें।