पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कहा “सामाजिक समानता और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखना…”

Dhananjaya Yeshwant Chandrachud
Dhananjaya Yeshwant Chandrachud: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केरल हाई कोर्ट में संविधान दिवस पर “संविधान के तहत भाईचारा – एक समावेशी समाज के लिए हमारी खोज” विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने फ्री स्पीच को लेकर कहा कि यदि इसे पूरी तरह से अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो समाज के प्रभावशाली लोग कमजोर वर्गों की आवाजों को दबा सकते हैं।
उन्होंने समझाया कि असमान समाज में धन, प्रभाव और मंच वाले लोग सार्वजनिक विमर्श पर हावी हो सकते हैं और हाशिए पर मौजूद लोगों को पीछे धकेल सकते हैं। उनके अनुसार, शक्तिशाली लोग अपनी आजादी का उपयोग उन गतिविधियों को बढ़ावा देने में करेंगे, जो कमजोर वर्गों के लिए नुकसानदेह होंगी।
आजादी का अधिकार
चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, लेकिन अगर इस पर नियंत्रण न हो, तो यह घृणा फैलाने वाले नैरेटिव्स को जन्म दे सकता है। उन्होंने चेताया कि ऐसे नैरेटिव्स समाज में समानता को बाधित कर सकते हैं और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक असमान समाज में सभी को समान समझने की कोशिश, बिना संसाधनों और मतभेदों को पहचाने, शक्तिशाली वर्गों को और मजबूत बना सकती है।
जिम्मेदारी और नियंत्रण का संतुलन
पूर्व सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र में भाईचारा एक स्थिर शक्ति है, जो सभी वर्गों के लिए समान रूप से काम करती है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि समाज में हर किसी को बराबरी का मौका मिले और कमजोर वर्गों की आवाज सुनी जाए। उनका मानना है कि भाईचारे के बिना सामाजिक समानता और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखना कठिन है।
चंद्रचूड़ ने निष्कर्ष में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ जिम्मेदारी और नियंत्रण का संतुलन जरूरी है, ताकि यह अधिकार समानता और समावेशन को बढ़ावा देने में मददगार बने।
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