डिप्टी कलेक्टर ने शुरू की पदयात्रा, सस्पेंशन ऑर्डर के खिलाफ बैतूल से भोपाल तक करेंगी यात्रा

डिप्टी कलेक्टर ने शुरू की पदयात्रा, सस्पेंशन ऑर्डर के खिलाफ बैतूल से भोपाल तक करेंगी यात्रा

डिप्टी कलेक्टर ने शुरू की पदयात्रा, सस्पेंशन ऑर्डर के खिलाफ बैतूल से भोपाल तक करेंगी यात्रा

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मध्य प्रदेश का एक अफसर अपना सस्पेंशन ऑर्डर नहीं स्वीकार करने के कारण बैतूल जिले से राजधानी भोपाल की ओर चला गया है। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की न्याय यात्रा लगभग 135 किमी चलेगी और 12 दिनों में भोपाल सीएम हाउस पहुंच जाएगी। निशा बांगरे ने भी सीएम शिवराज सिंह चौहान के गांव जैत जाने की घोषणा की है। कुछ दिन पहले, छतरपुर जिले की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने आमला से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ से टिकट को लेकर एक बैठक हुई है। वे सरकारी सेवा छोड़ दी क्योंकि वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। छतरपुर जिले की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपना त्याग पत्र नहीं स्वीकार करने के कारण बैतूल जिले के आमला से मुख्यमंत्री निवास के लिए पैदल न्याय यात्रा शुरू की है।

मंदिर से शुरू करेंगी यात्रा

वहीं 28 सितंबर को आमला के माता मंदिर से शुरू हुई यात्रा नौ अक्टूबर को अपने बारहवीं दिन भोपाल पहुंचेगी। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने आमला के बस स्टैंड से अनन्त चतुर्दशी पर भगवान गणेश और माता दुर्गा का दर्शन करके न्याय पद यात्रा की शुरूआत की। उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया। न्याय की यात्रा पर निशा भगवत गीता और भारत का संविधान लेकर चल रही हैं। बांगरे ने कहा कि अगर उनके त्याग-पत्र पर फैसला नहीं लिया गया तो वे मुख्यमंत्री निवास के सामने आमरण अनशन करेंगे। उन्हें बताया गया कि आमला में प्रदेश सरकार को पुनर्गठित करने के लिए भी प्रयास शुरू किए गए हैं।

कलेक्टर को न्याय से किया जा रहा है वंचित

बता दें कि 27 जून को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था, क्योंकि उसे बैतूल जिले के आमला में सर्वधर्म शांति सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई थी। सरकार ने अभी तक इस्तीफा नहीं लिया है। उनका कहना है कि उन्हें न्याय से वंचित करने के लिए पेच लगाया जा रहा है। कोर्ट में भी गलत सूचना दी जा रही है। सोमवार को बैतूल में कलेक्टर के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तीन दिन में निर्णय लेने की मांग की, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।

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